Edited By vasudha,Updated: 27 May, 2020 10:55 AM
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोविड-19 संकट से निपटने के तरीकों को लेकर अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान, स्वास्थ्य से जुड़े प्रमुख विशेषज्ञों से चर्चा कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा और स्वीडन के प्रोफेसर जोहान...
नेशनल डेस्क: भारतीय मूल के जाने माने अमेरिकी लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञ आशीष झा ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 वायरस अगले साल तक रहने वाला है और लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियां आरंभ करते समय लोगों के बीच विश्वास पैदा करने की जरूरत है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाद के दौरान ‘ब्राउन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ' के नवनियुक्त डीन झा ने यह भी कहा कि भारत को लॉकडाउन और कोरोना जांच को लेकर रणनीति बनानी होगी।
झा ने कहा कि कोरोना वायरस के आर्थिक एवं स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव के साथ ही इसका मनोवैज्ञानिक असर भी है और सरकारों को इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है। इस वायरस का मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी है। लॉकडाउन के जरिए आप अपने लोगों को एक तरह का संदेश देते है कि स्थिति गंभीर है। ऐसे में जब आप आर्थिक गतिविधियां खोलते हैं तो आपको लोगों में विश्वास पैदा करना होता है। उनके मुताबिक यह वायरस अगले 18 महीने यानी 2021 तक रहने वाली समस्या है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने कहा कि अगले साल ही कोई टीका या दवा आएगी। लोगों को समझने की जरूरत है कि अब जीवन बदलने वाला है। अब जीवन पहले जैसा नहीं रहेगा। लॉकडाउन से जुड़े राहुल गांधी के एक सवाल के जवाब में झा ने कहा कि सरकारों को रणनीति बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए अच्छी बात यह है कि उसके पास बड़ी संख्या में नौजवान आबादी है जिसके लिए कोरोना घातक नहीं होगा। बुजुर्गों और अस्पतालों में भर्ती लोगों का ख्याल रखना होगा।
कोविड-19 संकट से निपटने के लिए अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों के विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त विशेषज्ञों के साथ राहुल गांधी की यह तीसरी बातचीत है। इससे पहले उन्होंने विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री रघुराम राजन और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के साथ बात की थी। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने मंगलवार को कहा था कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप से बचने के लिए लॉकडाउन पूरी तरह से विफल रहा है।