Edited By Yaspal,Updated: 15 Feb, 2019 09:34 PM
उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1993 के अयोध्या अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ के सुपुर्द कर दी...
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1993 के अयोध्या अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ के सुपुर्द कर दी है। केंद्र सरकार ने 1993 के इसी अधिनियम के तहत विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर और आसपास के क्षेत्रों में 67.703 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा, ‘‘इस याचिका को संविधान पीठ के सामने सूचीबद्ध किया जाये।’’ अयोध्या विवाद मुकदमे की अपील में मुस्लिम पक्ष के वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने दलील दी कि याचिका में उठाये गये सवाल पर 1994 में इस्माइल फारुकी फैसले में संविधान पीठ निर्णय दे चुकी है। इसलिए 27 साल बाद इस पर पुनर्विचार नहीं किया जा सकता।
हालांकि, न्यायालय ने कहा कि यह याचिका संविधान पीठ के सुपुर्द की जाये। रामलला के भक्त होने का दावा करने वाले लखनऊ के दो वकीलों सहित कई व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका में भूमि का अधिग्रहण करने की संसद की विधायी क्षमता को चुनौती दी गई है।