Edited By Seema Sharma,Updated: 08 Nov, 2019 12:18 PM
भाजपा को शिवसेना के पास तभी आना चाहिए जब वह महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री का पद अपनी सहयोगी पार्टी के साथ साझा करने के लिए तैयार हो। शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने शुक्रवार को यह बात कही। संवाददाताओं से बातचीत में राउत ने कहा कि भाजपा को कार्यवाहक...
नई दिल्ली: भाजपा को शिवसेना के पास तभी आना चाहिए जब वह महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री का पद अपनी सहयोगी पार्टी के साथ साझा करने के लिए तैयार हो। शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने शुक्रवार को यह बात कही। संवाददाताओं से बातचीत में राउत ने कहा कि भाजपा को कार्यवाहक सरकार के प्रावधान का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और महाराष्ट्र में सत्ता में बने रहना चाहिए। वहीं महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा के बीच जारी राजनीतिक गतिरोध के बीच राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लिखी कविता की पंक्तियां उद्धृत करते हुए शुक्रवार को फिर से भाजपा पर निशाना साधा। राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की कविता ...अग्निपरीक्षा में..को उद्धृत करते हुए लिखा, ‘‘आइए हम अर्जुन की तरह दो प्रतिज्ञा लेते हैं, दीनता स्वीकार न करें और चुनौतियों से कभी भागे नहीं।'' शिवसेना नेता ने इससे पहले गुरुवार को संवाददाताओं से बात करते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की स्थितियां पैदा की जा रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा और शिवसेना के बीच लोकसभा चुनाव के दौरान जो सहमति बनी थी उसके अनुसार हम 50:50 फार्मूला के तहत ढाई वर्ष के लिए शिव सेना का मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि राज्य की जनता ने भाजपा-शिवसेना के महागठबंधन को सरकार बनाने के लिए जनादेश दिया है तो फिर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा क्यों नहीं पेश कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा स्वयं भी सरकार नहीं बनाना चाहती और न ही दूसरे को सरकार बनाने दे रही है।
भाजपा के पास बहुमत नहीं है इसलिए वह सरकार नहीं बना पा रही है। एक अन्य प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि शिवसेना को धमकी या ब्लैकमेल नहीं किया जा सकता। जिन लोगों के पास सत्ता होती है वही साम, दाम, दंड और भेद का इस्तेमाल करते हैं। राउत ने कहा कि जनता की जनभावना है कि मुख्यमंत्री शिवसेना का हो। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का परिणाम 24 अक्तूबर को आया जिसमें भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिली है। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल शनिवार को समाप्त हो रहा है और अगर कोई दल या दलों का गठबंधन सरकार बनाने के लिए आगे नहीं आता है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है।