Edited By Pardeep,Updated: 08 Sep, 2020 05:57 AM
पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए धमाकेदार पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले बागी कांग्रेस नेताओं जी-23 ने गत एक सप्ताह से चुप्पी साध ली है। लंबी खामोशी के बाद पंजाब से लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने एक इंटरव्यू दिया है लेकिन गुलाम नबी...
नई दिल्लीः पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए धमाकेदार पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले बागी कांग्रेस नेताओं जी-23 ने गत एक सप्ताह से चुप्पी साध ली है। लंबी खामोशी के बाद पंजाब से लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने एक इंटरव्यू दिया है लेकिन गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा समेत बाकी बड़े नेताओं ने ‘एक चुप सौ सुख’ की नीति अपनाई हुई है।
ये नेतागण यह मांग तक नहीं उठा रहे कि अगला पार्टी अध्यक्ष चुने जाने तक पार्टी के रोजमर्रा के कामकाज चलाने के लिए कोर कमेटी बनाई जानी चाहिए। जी-23 नेताओं के ट्विटर व फेसबुक अकाऊंट की गहन जांच-पड़ताल से पता चला है कि 30 अगस्त के बाद ये सभी नेता ‘मौन मुद्रा’ में चले गए हैं। इन 3 नेताओं के अलावा पृथ्वीराज चव्हाण, वीरप्पा मोइली, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, विवेक तन्खा, जितिन प्रसाद, पी.जे. कुरियन, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा, राज बब्बर व अन्य में से किसी ने भी उन मुद्दों को किसी भी सोशल मीडिया मंच पर नहीं उठाया है जो उन्होंने लंबे पत्र में सोनिया के समक्ष उठाए थे। पत्र बम के बाद पृथ्वीराज चव्हाण ट्विटर से पूरी तरह गायब हो गए थे। कुछ दिन बाद उन्होंने कराड विधानसभा हलके को लेकर फेसबुक पर जरूर अपना वक्तव्य दिया था।
हालांकि इन बागी नेताओं ने कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की है तथा भाजपा से लड़ने का संकल्प दोहराया है परंतु उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ कभी कोई बयान ट्विटर या फेसबुक पर नहीं दिया। राहुल ब्रिगेड यह आरोप लगाती रहती है कि राहुल गांधी द्वारा रोजाना ट्वीट किए जाने वाले मोदी विरोधी बयानों को इन नेताओं ने कभी री-ट्वीट नहीं किया।
मुकुल वासनिक अकेले ऐसे नेता हैं जिन्होंने प्रणब दा पर राहुल के ट्वीट को री-ट्वीट किया था लेकिन कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, पृथ्वीराज चव्हाण ने कभी राहुल के ट्वीट शेयर नहीं किए। सांसद शशि थरूर ने राहुल के ट्वीट 8 दिन में दो बार जरूर शेयर किए परंतु इसे भी उनके रवैये में नर्मी लाने के रूप में देखा जा रहा है। पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री राजेंद्र कौर भट्ठल, आनंद सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, योगानंद शास्त्री व अन्य परिदृश्य से पूरी तरह गायब हैं।