पाकिस्तान ने खायी न सुधरने की कसम

Edited By ,Updated: 07 Jun, 2016 02:36 PM

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इसे भारत के धैर्य की परीक्षा ही कहेंगे कि पाकिस्तान एक महीने से उसके खिलाफ लगातार जहर उगल रहा है। इसके बावजूद भारत ने

इसे भारत के धैर्य की परीक्षा ही कहेंगे कि पाकिस्तान एक महीने से उसके खिलाफ लगातार जहर उगल रहा है। इसके बावजूद भारत ने अपना धैर्य नहीं खोया है। पाकिस्तान से जारी किए जा रहे इन बयानों की जांच करें तो उनमें सिर्फ भारत पर ही आरोप लगाए गए हैं। कश्मीर में जनमत संग्रह का बिन मांगे सुझाव दिया गया है। कभी ड्रोन से परमाणु बम का हमला करने की धमकी दे दी जाती है। पाकिस्तान इसके अलावा कोई और बात ही नहीं करता है। उसकी अपनी कितनी ही समस्याएं है, उनसे छुटकारा कैसे पाया जाए और वह क्यों पिछड़ता जा रहा है उसे इन बातों पर ध्यान देने की फुर्सत ही नहीं हैै।

भारत-अमरीका के संबंधों में निकटता से आतंकी संगठन जमात-उद-दावा का सरगना और मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद बौखलाया गया है। सईद ने भारत में परमाणु बम गिराने की धमकी दे दी है। उसे अमरीका पर संदेह हो गया है कि वह भारत के हवाई अड्डों पर ड्रोन तैनात करेगा, ताकि पाकिस्तान के शहरों पर हमला कर सके। वह धमकाता है कि पाकिस्तान अपने ड्रोन से भारत पर परमाणु हमले करेगा। उसके पास पूरे भारत के लिए कई ड्रोन हैं।

हाफिज को आशंका है कि भारत अमरीका को पाकिस्तानी आंतकियों के खिलाफ अपनी धरती का उपयोग करने देगा। उसने जता दिया है कि अब पाकिस्तान किसी भी तरह का जवाब देने में सक्षम है। पाकिस्तान की क्षमता पर बजाय उसके प्रधानमंत्री के, एक आतंकी संगठन का सरगना दावा करता है, यह कितने अफसोस की बात है। इसे दोनों में मिलीभगत ही माना जाएगा। अब तक पाक सरकार की ओर से इसका खंडन भी नहीं आया है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज का बयान भी कम अजीब नहीं है। वे फरमाते हैं कि भारत ने उनके देश के साथ बातचीत तथा सद्भाव के अवसर के लिए कभी खिड़की नहीं खोली। बातचीत के लिए जब भी प्रयास हुए, उन्हें विफल कर दिया गया और पठानकोट के हमले के बाद तो स्थगित ही कर दिया गया। 

विदेशी मामलों के सलाहकार से ऐसे बेबुनियाद आरोप की अपेक्षा नहीं की जा सकती। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे अपने प्रधानमंत्री को कैसी सलाह देते होंगे।  जबकि भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर सही कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ सद्भावना और वार्ता की खिड़की खोली थी, लेकिन इस्लामाबाद की आेर से गंभीरता की कमी के कारण वह धीरे-धीरे बंद हो रही है। इसे कौन बंद कर रहा है यह समझने की बात है। पाकिस्तान को इस मामले में अपनी गंभीरता पर भारत के साथ विश्वास विकसित करने की जरूरत है। आतंकवादियों को अच्छे और खराब की श्रेणी में बांटने का तर्क भी हास्यास्पद कहा जाएगा। आतंकवादी अच्छे कब और किस लिहाज से हुए।

जब हाथ कुछ नहीं आया तो पाकिस्तान ने ब्लूचिस्तान में गिरफ्तार कुलभूषण के मुद्दे को ही भुनाना शुरू कर दिया। उसका आरोप है कि भारतीय खुफिया एजेंसियां ब्लूचिस्तान और कराची में विध्वंसक और आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं। पाकिस्तान कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव को दूतावास से संपर्क करने की इजाजत नहीं दे रहा। उसके गृह मंत्री निसार अली खान का तर्क है कि भारतीय जासूस कुलभूषण पाकिस्तान में विशेष उद्देश्य के साथ आया था। उसे दूतावास से संपर्क करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। दूसरी ओर, भारत ने स्वीकार कर चुका है कि जाधव ने नौसेना में काम किया है, लेकिन इन आरोपों को नकार दिया था कि सरकार के साथ उसके कोई ताल्लुकात हैं।

पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन भी कम नहीं हैं। उनका भारत पर आरोप है कि पठानकोट आतंकवादी हमले की संयुक्त जांच के लिए भारत वार्ता से पीछे हट गया है। जबकि पाकिस्तान की तरफ से बातचीत की पेशकश की गई थी। क्या ऐसा संभव है कि भारत बातचीत के लिए तैयार न हो। हर बार पहल भारत की ओर से की गई है।

हुसैन भी कश्मीर पर राग अलापने से बाज नहीं आए। इसे वह बंटवारे का अधूरा एजेंडा बताते हैं। फिर कहते हैं कि कश्मीर क्षेत्रीय तनाव का मुख्य कारण भी है। उनका कुतर्क है कि जब तक कश्मीर मुद्दे का समाधान वहां के लोगों की इच्छा और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत नहीं होता तब तक इस क्षेत्र की समस्याओं का समाधान नहीं होगा। वे भारत के अंदरुनी मामलों में दखल क्यों देना चाहते हैं ? अपने देश को ही संभाल लें यह क्या कम है।

पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञों ने रणनीतिक महत्व वाले चाबहार बंदरगाह पर भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच त्रिपक्षीय गठजोड़ को पाकिस्तान की सुरक्षा को खतरा बता चुके हैं। भारत को किस देश के साथ अपने हित के मुताबिक क्या समझौता करना है, इसमें पाकिस्तान की सुरक्षा का कुतर्क समझ से बाहर है। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले डा.अब्दुल कादिर खान कुछ ज्यादा ही आत्मविश्वासी लगते हैं। पाकिस्तान की परमाणु क्षमता का बखान करते हैं कि पांच मिनट के अंदर रावलपिंडी के नजदीक कहूटा से दिल्ली पर निशाना साधने की क्षमता उनके देश के पास है। दिल्ली ने पाकिस्तान का क्या बिगाड़ा है जो इस पर हमले की बात लगातार की जाने लगी है।

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