Edited By Yaspal,Updated: 22 Jul, 2019 06:45 PM
लोकसभा ने सोमवार को सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी। केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने पारदर्शिता कानून के बारे में विपक्ष की चिंताओं को निर्मूल करार देते हुए कहा कि मोदी सरकार पारदर्शिता, जन...
नई दिल्लीः लोकसभा ने सोमवार को सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी। केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने पारदर्शिता कानून के बारे में विपक्ष की चिंताओं को निर्मूल करार देते हुए कहा कि मोदी सरकार पारदर्शिता, जन भागीदारी, सरलीकरण, न्यूनतम सरकार...अधिकतम सुशासन को लेकर प्रतिबद्ध है ।
मंत्री के जवाब के बाद एमआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी समेत कुछ सदस्यों ने विधेयक पर विचार किये जाने और इसके पारित किये जाने का विरोध किया और मतविभाजन की मांग की। सदन ने इसे 79 के मुकाबले 218 मतों से अस्वीकार कर दिया। इसके बाद सदन ने विधेयक को मंजूरी प्रदान की।
- मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे।
- मूल कानून के अनुसार अभी मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का वेतन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों के बराबर है।
कांग्रेस ने लगाया कानून को कमजोर करने का आरोप
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सरकार पर सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक लाकर इस महत्वपूर्ण कानून को कमजोर करने का आरोप लगाया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार इस संशोधन के माध्यम से राज्यों में भी सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों की नियम, शर्तें तय करेगी जो संघीय व्यवस्था तथा संसदीय लोकतंत्र के खिलाफ है।
चर्चा का जवाब देते हुए कार्मिक, लोक प्रशासन तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि पारदर्शिता के सवाल पर मोदी सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है। उन्होंने जोर दिया कि सरकार अधिकतम सुशासन, न्यूनतम सरकार के सिद्धांत के आधार पर काम करती है। विधेयक के संदर्भ में मंत्री ने कहा कि इसका मकसद आरटीआई अधिनियम को संस्थागत स्वरूप प्रदान करना, व्यवस्थित बनाना तथा परिणामोन्मुखी बनाना है।