Edited By Yaspal,Updated: 27 Jul, 2020 09:05 PM
केन्द्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में पीएम केयर्स कोष का पुरजोर बचाव किया और कहा कि कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए यह ‘स्वैच्छिक योगदान'' का कोष है और राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष तथा राज्य आपदा मोचन कोष के लिए बजट में किए गए आबंटन को हाथ भी नहीं...
नई दिल्लीः केन्द्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में पीएम केयर्स कोष का पुरजोर बचाव किया और कहा कि कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए यह ‘स्वैच्छिक योगदान' का कोष है और राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष तथा राज्य आपदा मोचन कोष के लिए बजट में किए गए आबंटन को हाथ भी नहीं लगाया गया है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ के समक्ष केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधानमंत्री केयर्स कोष के बारे में बयान दिया।
पीठ ने कोविड-19 महामारी के लिए इस कोष के तहत एकत्र धनराशि राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष में हस्तांतरित करने के लिए गैर सरकारी संगठन की याचिका में किए गए अनुरोध पर सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा। केन्द्र ने 28 मार्च को प्रधानमंत्री केयर्स कोष का गठन किया था। इसका मुख्य उद्देश्य कोविड-19 जैसी महामारी जैसी किसी भी आपात स्थिति से निबटने के लिए धन एकत्र करना और प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करना था। प्रधानमंत्री इस कोष के पदेन अध्यक्ष हैं जबकि रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री इसके पदेन न्यासी हैं।
गैर सरकारी संगठन ‘सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस' की याचिका पर सुनवाई के दौरान सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पीएम केयर्य फंड एक स्वैच्छिक कोष है जबकि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के लिए बजट के माध्यम से धन का आबंटन किया जाता है। मेहता ने कहा, ‘‘यह सार्वजनिक न्यास है। यह ऐसी संस्था है जिसमे आप स्वेच्छा से योगदान कर सकते हैं और एनडीआरएफ या एसडीआरएफ के बजटीय आबंटन को हाथ भी नहीं लगाया जा रहा है। इसमें जो भी खर्च करना होगा, खर्च किया जाेगा। इस मामले में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है।''