किताब विवाद पर योग गुरु रामदेव को SC से नोटिस

Edited By Anil dev,Updated: 30 Nov, 2018 05:21 PM

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उच्चतम न्यायालय ने कथित तौर पर रामदेव के जीवन पर आधारित पुस्तक के प्रकाशन और बिक्री पर रोक लगाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ प्रकाशक की याचिका पर शुक्रवार को योग गुरु को नोटिस जारी किया।

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कथित तौर पर रामदेव के जीवन पर आधारित पुस्तक के प्रकाशन और बिक्री पर रोक लगाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ प्रकाशक की याचिका पर शुक्रवार को योग गुरु को नोटिस जारी किया। रामदेव ने दावा किया था कि पुस्तक में मानहानिकारक सामग्री है जिसके बाद उच्च न्यायालय ने 29 सितंबर को रोक का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, ‘‘ हम प्रतिवादी संख्या एक (रामदेव) को नोटिस जारी करेंगे। ’’ 

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पीठ ने इस मामले को आगे सुनवाई के लिए फरवरी, 2019 के पहले हफ्ते में सूचीबद्ध किया है। पुस्तक के प्रकाशक जगरनट बुक्स ने उच्च न्यायालय के 29 सितंबर के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। इससे पहले, रामदेव ने ‘‘ गॉडमैन टू टायकून ’’ नाम की किताब के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया था कि किताब कथित तौर पर उनके जीवन पर आधारित है और उसमें मानहानिकारक सामग्री है जिससे उनकी प्रतिष्ठा और आर्थिक हितों को नुकसान पहुंच सकता है। प्रकाशक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि इस मामले में कुछ महत्वपूर्ण और बहुत ही दिलचस्प मुद्दे हैं। 
 

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पीठ ने जानना चाहा कि प्रकाशक ने ई-कामर्स वेबसाइट एमेजन इंडिया और फ्लिकार्ट इंटरनेट प्रा लि को प्रतिवादी क्यों बनाया है। ये दोनों वेबसाइट पहले यह पुस्तक ऑनलाइन बेच रही थीं।  पीठ ने कहा, ‘‘आप इस मामले में नाहक ही अमेजन और फ्लिपकार्ट को (पक्षकार के रूप में) क्यों चाहते हैं?’’ इसके साथ ही पीठ ने सिर्फ रामदेव को नोटिस जारी किया।  पिछले साल अगस्त में एक अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश ने प्रकाशक को पुस्तक के प्रकाशन और इसकी बिक्री करने से रोक दिया था। लेकिन इस साल 28 अप्रैल को अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश ने इस प्रतिबंध को हटा दिया था। 

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रामदेव ने निचली अदालत के 28 अप्रैल के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने इस पुस्तक के प्रकाशन और बिक्री पर रोक लगाते हुये कहा था कि यह जिस व्यक्ति के बारे में लिखी गयी है वह जीवित है और गरिमा के साथ रहने का हकदार है। इस पुस्तक का लोकार्पण 29 जुलाई, 2017 को हुआ था और इसके बाद ही रामदेव ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।      

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