AFSPA कानून पर अब जल्द होगी सुनवाई, 300 जवानों ने खटखटाया था SC का दरवाजा

Edited By vasudha,Updated: 14 Aug, 2018 01:54 PM

supreme court ready to hear on afspa law

सेना के करीब 300 अधिकारियों और जवानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जवानों ने उन इलाकों में सैन्य अभियान चलाने पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है जहां अफस्पा लागू है...

नेशनल डेस्क: सेना के करीब 300 अधिकारियों और जवानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जवानों ने उन इलाकों में सैन्य अभियान चलाने पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है जहां अफस्पा लागू है। उच्चतम न्यायालय ने जवानों की मांग को मानते हुए याचिका पर 20 अगस्त को सुनवाई करने का फैसला लिया है। 
PunjabKesari
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर की पीठ ने वकील ऐश्वर्या भाटी की इन दलीलों पर विचार किया कि सेना के जवानों पर अशांत इलाकों में ड्यूटी निभाने के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है। याचिका में कहा गया कि प्राथमिकी दर्ज करना और सेना के जवानों पर अभियोग चलाना अफस्पा के प्रावधानों के खिलाफ है क्योंकि उन्हें आधिकारिक ड्यूटी के दौरान कार्रवाई करने के लिए उन पर मुकदमा दर्ज करने से छूट मिली हुई है। साथ ही कहा गया  कि ऐसे मुकदमे सेना और अद्र्धसैन्य बलों का मनोबल गिराएंगे। 
PunjabKesari
सेना के जवानों पर मणिपुर जैसे इलाकों में कथित ज्यादतियां करने और फर्जी मुठभेड़ के लिए मामला दर्ज किया जा रहा है। उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद कुछ मुकदमे शुरू किए गए। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिए फैसले में कहा था कि AFSPA (आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट) वाले इलाकों में हुए मुठभेड़ की भी पुलिस या CBI जांच हो सकती है। सेना के लोगों पर भी सामान्य अदालत में मुकदमा चल सकता है। 

PunjabKesari
क्या है AFSPA?

  • सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) 1958 में संसद द्वारा पारित किया गया था और तब से यह कानून के रूप में काम कर रही है।
  • जम्‍मू-कश्‍मीर में यह कानून 1990 में लागू किया गया था।
  • इस कानून के तहत सेना के जवानों को कानून तोड़ने वाले व्‍यक्ति पर फायरिंग का भी पूरा अधिकार प्राप्‍त है।
  • अगर इस दौरान उस व्‍यक्ति की मौत भी हो जाती है तो उसकी जवाबदेही फायरिंग करने या आदेश देने वाले अधिकारी पर नहीं होगी।

संयुक्‍त राष्‍ट्र के मानवाधिर आयोग के कमिश्‍नर नवीनतम पिल्‍लई ने 23 मार्च 2009 को इस कानून के खिलाफ जबरदस्‍त आवाज उठायी थी और इसे पूरी तरह से बंद कर देने की मांग की थी। उन्‍होंने इस औपनिवेशिक कानून की संज्ञा दी थी। दूसरी ओर सेना के जवानों का कहना है कि चूंकी जम्‍मू-कश्‍मीर में जवानों को हर समय जान की जोखिम रहती है, इस कारण उनके पास ऐसे कानून का होना वाजिब है। 
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!