ताइवान के राष्ट्रपति ने भूकंप पीड़ितों के प्रति संवेदना व समर्थन के लिए PM मोदी का जताया आभार

Edited By Tanuja,Updated: 04 Apr, 2024 11:42 AM

taiwan president conveys gratitude to pm modi over his message

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ताइवान के भूकंप प्रभावित लोगों के प्रति एकजुटता प्रकट करने के कुछ देर बाद ही राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने बुधवार को ‘‘चुनौतीपूर्ण...

तइपे: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ताइवान के भूकंप प्रभावित लोगों के प्रति एकजुटता प्रकट करने के कुछ देर बाद ही राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने बुधवार को ‘‘चुनौतीपूर्ण समय'' में समर्थन के लिए उनका आभार व्यक्त किया। ताइवान के उपराष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने भी मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि भारत के प्रधानमंत्री का समर्थन और एकजुटता इस कठिन समय में ताइवान के लोगों के लिए ताकत का स्रोत है। राष्ट्रपति साई ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हम इस चुनौतीपूर्ण समय में आपके उदार शब्दों और समर्थन के लिए बहुत आभारी हैं ।

 

आपके द्वारा प्रदर्शित एकजुटता, ताइवान के लोगों के लिए बहुत मायने रखती है क्योंकि हम सभी तेजी से स्थिति को सामान्य करने के लिए काम कर रहे हैं।'' ताइवान में बुधवार को गत 25 साल में सबसे अधिक तीव्रता का भूकंप महसूस किया जिसमें कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और 900 से अधिक लोग घायल हो गए। मोदी ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ताइवान में आज भूकंप के कारण लोगों की मौत से गहरा दुख हुआ। शोक संतप्त परिवारों के प्रति हमारी हार्दिक संवेदना है और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम ताइवान के लोगों के साथ एकजुटता से खड़े हैं क्योंकि वे भूकंप के बाद की परिस्थिति का सामना कर रहे हैं और इससे उबरने में लगे हैं।'' ताइवान के उपराष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने भी ‘हृदयस्पर्शी' संदेश के लिए मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आपके हृदयस्पर्शी संदेश के लिए धन्यवाद। इस कठिन समय में आपका समर्थन और एकजुटता ताइवान के लोगों के लिए शक्ति का स्रोत है।''

 

द इंडिया ताइपे एसोसिएशन ने भी भूकंप पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है। चीन, ताइवान को अपना अलग हुआ प्रांत मानता है और मुख्यभूमि से जुड़ने के लिए दबाव डाल रहा है। चीन का कहना है कि जरूरत पड़ने पर वह इस लक्ष्य के लिए ताकत का भी इस्तेमाल कर सकता है। हालांकि, ताइवान स्वयं को चीन से पूरी तरह से अलग मानता है। भारत और ताइवान के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है लेकिन गत कुछ सालों से दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत ने 1995 में ताइपे में ‘इंडिया ताइपे एसोसिएशन'(आईटीए) की स्थापना की थी जिसका उद्देश्य दोनों पक्षों में संवाद को बढ़ावा देना और व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करना था। इंडिया ताइपे एसोसिएशन को सभी कांउसलर और पासपोर्ट सेवा देने के लिए अधिकृत किया गया है। उसी साल ताइवान ने भी दिल्ली में ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की थी।  

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