Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Mar, 2018 12:36 PM
सोनिया गांधी बेशक विपक्षी नेताओं को डिनर पर आमंत्रित करके उनके साथ बैठकें कर रही हैं और शायद हमख्याल पार्टियों के साथ वह यू.पी.ए. जैसा सांझा मोर्चा बनाने पर भी बातचीत चलाएंगी लेकिन राहुल गांधी को ऐसा मोर्चा बनाने की कोई जल्दबाजी नहीं। वह तो यह महसूस...
नेशनल डेस्कः सोनिया गांधी बेशक विपक्षी नेताओं को डिनर पर आमंत्रित करके उनके साथ बैठकें कर रही हैं और शायद हमख्याल पार्टियों के साथ वह यू.पी.ए. जैसा सांझा मोर्चा बनाने पर भी बातचीत चलाएंगी लेकिन राहुल गांधी को ऐसा मोर्चा बनाने की कोई जल्दबाजी नहीं। वह तो यह महसूस करते हैं कि फिलहाल विपक्षी पार्टियों को चुपचाप अपना काम करना चाहिए क्योंकि ऐसे मोर्चे की अभी कोई जरूरत नहीं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तीसरा मोर्चा खड़ा करने के लिए रात-दिन एक कर रही हैं और हर रंग के क्षेत्रीय नेताओं के साथ बातचीत चला रही हैं। बेशक शरद पवार को लगता है कि तीसरा मोर्चा बनने से 2019 के चुनावों में वह राजनीतिक अप्रासंगिकता में से उबर सकेंगे।
फिर भी एक बार अतीत में अपने हाथ जला चुके पवार केवल महाराष्ट्र में ही अपनी पार्टी के जनाधार को विस्तार देने के प्रयास कर रहे हैं। उनके लिए महाराष्ट्र ही राजनीतिक शक्ति की कुंजी है और शेष राज्यों को वह बोनस के रूप में देखते हैं। महाराष्ट्र में उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन पर मोहर लगा दी है। लेकिन ममता बनर्जी तीसरा मोर्चा खड़ा करने के लिए पवार पर उम्मीदें लगाए हुए हैं क्योंकि मुलायम सिंह को उनके बेटे ने ही पृष्ठभूमि में धकेल दिया है और मायावती के साथ गठबंधन पहले ही बना लिया है।
ऐसा सुनने में आ रहा है कि यदि सपा-बसपा गठबंधन अधिकतर सीटों पर जीत हासिल कर लेता है तो उस स्थिति में मायावती ही प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार होंगी। अखिलेश ने कांग्रेस को संकेत दे दिया है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में सीटों के किसी भी तरह के लेन-देन में उसे लोकसभा की 8-10 सीटों से अधिक नहीं दी जा सकतीं। रालोद को शायद 2 सीटें दी जाएंगी जबकि एक सीट शरद यादव को परोसी जाएगी।