लोकपाल के तहत आज तक एक व्यक्ति पर नहीं चला मुकदमा, संसदीय समिति ने उठाए सवाल

Edited By Yaspal,Updated: 23 Mar, 2023 06:37 PM

till date no case has been filed against a person under lokpal

देश की पहली लोकपाल समिति के गठन और पहले लोकपाल की नियुक्ति को मंजूरी मिलने के पिछले चार सालों में भी अब तक भ्रष्टाचार विरोधी इस शीर्ष संस्था ने भ्रष्टाचार के आरोपी एक भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया है

नेशनल डेस्कः देश की पहली लोकपाल समिति के गठन और पहले लोकपाल की नियुक्ति को मंजूरी मिलने के पिछले चार सालों में भी अब तक भ्रष्टाचार विरोधी इस शीर्ष संस्था ने भ्रष्टाचार के आरोपी एक भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया है। संसद की एक समिति की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है, जिसमें उसने लोकपाल के प्रर्दशन को ‘‘संतोषजनक नहीं प्रतीत होता'' करार दिया। हाल में संसद में पेश इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकपाल द्वारा कई शिकायतों का निपटारा इस आधार पर किया जा रहा है कि वे निर्धारित प्रारूप में नहीं हैं। समिति ने लोकपाल से वास्तविक शिकायतों को खारिज नहीं करने को भी कहा।

समिति ने पिछले साल मई से खाली पड़े लोकपाल के अध्यक्ष के पद को नहीं भरे जाने के बारे में सवाल उठाया और रिक्तियों को भरने के लिए की जा रही कार्रवाई पर सरकार से जवाब मांगा। मालूम हो कि मार्च 2109 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को देश के पहले लोकपाल के रूप में शपथ दिलाई थी। इसी महीने में लोकपाल समिति भी गठित की गई थी।

लोकपाल का नेतृत्व एक अध्यक्ष करता है और इसमें आठ सदस्य (चार न्यायिक और शेष गैर-न्यायिक) हो सकते हैं। लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम को 2013 में पारित किया गया था। कार्मिक, लोक शिकायत, कानून एवं न्याय पर विभाग संबंधी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘समिति लोकपाल द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से निष्कर्ष निकालती है कि बड़ी संख्या में शिकायतों का निपटारा इस आधार पर किया जा रहा है कि वे निर्धारित प्रारूप में नहीं हैं।

लोकपाल ने समिति को बताया है कि उसने आज तक भ्रष्टाचार के आरोपी एक भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया है।'' समिति ने कहा कि उसकी सुविचारित राय है कि लोकपाल का गठन सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कानूनी और संस्थागत तंत्र को मजबूत करने के लिए किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हालांकि, लोकपाल का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं लगता है।''

रिपोर्ट में कहा गया कि समिति का मानना है कि लोकपाल की स्थापना स्वच्छ और उत्तरदायी शासन को बढ़ावा देने के प्रयास के तहत की गई थी और इसलिए, इसे अवरोधक के बजाय एक सहायक के रूप में कार्य करना चाहिए। कमेटी ने लोकपाल से सिफारिश की कि वह केवल तकनीकी आधार पर वास्तविक शिकायतों को खारिज न करे कि शिकायत निर्धारित प्रारूप में नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ऐसे मोड़ पर जब भारत जी-20 भ्रष्टाचार विरोधी कार्य समूह का नेतृत्व कर रहा है, लोकपाल को इस मौके पर आगे आना चाहिए और देश में भ्रष्टाचार विरोधी परिदृश्य को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।'' वर्ष 2022-23 के दौरान लोकपाल को कुल 2,518 शिकायतें (जो निर्धारित प्रारूप में नहीं थीं) प्राप्त हुईं। इस अवधि के दौरान प्राप्त 242 शिकायतें निर्धारित प्रारूप में थीं। इनमें से 191 का निपटारा कर दिया गया। समिति ने लोकपाल में रिक्त पदों को भी रेखांकित किया और उन्हें भरने के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा मांगा।

समिति ने कहा कि लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा पांच में कहा गया है कि अध्यक्ष या सदस्य का कार्यकाल समाप्त होने से कम से कम तीन महीने पहले नए अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति सभी आवश्यक कदम उठाएंगे। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति ने नोट किया है कि न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष ने मई 2022 में 70 वर्ष की आयु होने पर लोकपाल के अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था और तब से न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती लोकपाल के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं।'' समिति ने कहा कि दो न्यायिक सदस्यों की रिक्तियों को भी 2020 से नहीं भरा गया है।

गत सप्ताह संसद में पेश की गई इस रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘समिति चाहती है कि उसे लोकपाल के अध्यक्ष और न्यायिक सदस्यों के रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में अवगत कराया जाए। समिति को उम्मीद है कि जांच और अभियोजन शाखा जल्द ही गठित की जाएंगी।''

लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के अनुसार, लोकपाल एक अधिसूचना द्वारा, दोषी लोक सेवकों पर मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन निदेशक की अध्यक्षता में एक अभियोजन शाखा का गठन करेगा। कानून के अनुसार, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत दंड के अधिकारी एक लोक सेवक द्वारा किए गए किसी भी कथित अपराध की प्रारंभिक जांच करने के उद्देश्य से जांच निदेशक की अध्यक्षता में एक जांच विंग का भी गठन किया जाएगा।

समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकपाल की स्वीकृत संख्या 82 है, जिसमें से 32 पद पर हैं। इसके अतिरिक्त, 62 कर्मचारियों को संविदा या आउटसोर्सिंग आधार पर नियोजित किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘लोकपाल ने समिति को बताया कि जांच और अभियोजन शाखाओं के गठन तथा जांच एवं अभियोजन निदेशकों की नियुक्ति का काम चल रहा है।''

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