कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ पाक के सुर में सिर मिला रहा तुर्की

Edited By Tanuja,Updated: 19 Aug, 2020 05:24 PM

turkey using pakistani terminology on kashmir anti india stand exposed

पाकिस्तान को कश्मीर और आंतकवाद के मुद्दों पर वैश्विक मंच पर हमेशा मुंह की खानी पड़ी है। कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ दुनिया भर ...

 

इंटरनेशनल डेस्कः पाकिस्तान को कश्मीर और आंतकवाद के मुद्दों पर वैश्विक मंच पर हमेशा मुंह की खानी पड़ी है। कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ दुनिया भर में रोना रोने वाले पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन नहीं मिला । उसकी करतूतों को लेकर अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई पड़ोसी मुल्कों ने भी उससे किनारा किया हुआ है। मगर इस दौरान एक देश तुर्की है जो न सिर्फ पाक की नापाक करतूतों को नजरअंदाज कर रहा है बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसके साथ खड़ा भी दिख रहा है। कश्मीर मुद्दे पर तुर्की पाक के साथ भारत के खिलाफ सुर मिलाता खड़ा दिखता है ।

 

इस साल की शुरुआत में तुर्की के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान की संसद को संबोधित किया था और कश्मीर समेत अन्य मुद्दों पर पाक को समर्थन देने की बात कही थी। इसके बाद भारत सरकार ने उनकी सभी बातों और दावों को खारिज करते हुए जम्मू-कश्मीर को अपना आंतरिक मामला बताया है। तुर्की के राष्ट्रपति की इस बयानबाजी के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों पर असर पड़ रहा है। आर्दोआन ने कहा था कि कश्मीर जितना पाकिस्तान के लिए अहम है उतना ही तु्र्की के लिए भी है, हमने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में भी उठाया था। इसके बाद भारत सरकार ने उनकी सभी बातों और दावों को खारिज करते हुए जम्मू-कश्मीर को अपना आंतरिक मामला बताया है।

 

दरअसल, भारत और तुर्की के नागरिक एक-दूसरे को ठीक से जानते नहीं है और ऐसे में आपसी पूर्वाग्रह दूर करने का कोई रास्ता नहीं है। तुर्की में पाकिस्तान के नागरिकों की छवि 'भाई' की है तो भारतीयों की छवि 'गोपूजक' की। ऐसी स्थितियों में मूल आधार पर पाकिस्तान और तुर्की के संबंध ज्यादा बेहतर हैं और कश्मीर जैसे मामलों में तुर्की उसके साथ खड़ा होता है।  पाकिस्तान कई मुद्दों बाकी देशों के विरोध के बावजूद तुर्की का समर्थन करता रहा है। इसके बदले उसे तुर्की की मदद मिलती है।

 

आर्दोआन ने कहा- इंटरगवर्नमेंटल फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तरफ से आतंकवाद न रोक पाने पर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने के बाद चीन, मलेशिया और तुर्की ने ही उसकी मदद की। भारत में तुर्की के प्रति नाराजगी का एक कारण तख्तापलट की कोशिश के दौरान वहां मानवाधिकारों का हनन भी रहा। इस दौरान में तुर्की 15 विश्वविद्यालय बंद कर दिए गए थे। इनमें पढ़ने वाले कई भारतीय छात्रों को पढ़ाई बीच में छोड़कर वापस भारत लौटना पड़ा था। इसके अलावा इन विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले कई भारतीय प्रोफेसरों की नौकरी चली गई थी। तुर्की सरकार ने इन प्रोफेसरों के बैंक खाते कई महीनों तक बंद कर दिए थे। 

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