भारत के भोले-भाले छात्रों और सिख युवकों को ट्रैप कर कनाडा बुला रहे खालिस्तानी ! जानिए कैसे फैलाते हैं जाल

Edited By Tanuja,Updated: 28 Sep, 2023 02:32 PM

unveiling the khalistani agenda tactics for recruiting youth

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड को लेकर भारत पर आरोप लगाकर कनाडा सरकार का घिनौना चेहरा पूरी दुनिया के सामने...

इंटरनेशनल डेस्कः खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड को लेकर भारत पर आरोप लगाकर कनाडा सरकार का घिनौना चेहरा पूरी दुनिया के सामने बेनकाब हो चुका है। इस मामले के बाद कनाडा और खालिस्तान समर्थकों के भारत  विरोधी कई एजेंडे सामने आ रहे हैं जिस कारण  दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इस बीच एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा स्थित खालिस्तान समर्थक तत्व भारत के भोले-भाले सिख युवाओं को लालच देकर कनाडा बुला रहे हैं। यहां तक कि इन  सिख युवाओं को फंसाने के लिए वीजा भी स्पॉन्सर किए जा रहे हैं।

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सूत्रों ने बताया कि सिख युवाओं को बरगलाकर कनाडा बुलाने वालों में भारत-कनाडा के बीच हालिया विवाद की जड़ हरदीप सिंह निज्जर भी शामिल था। खालिस्तान समर्थक तत्वों  का एकमात्र उद्देश्य कनाडा की धरती पर अपने एजेंडे को बढ़ावा देने में भारत के सिख युवाओं का इस्तेमाल करना है। रिपोर्ट के  के अनुसार इस काम में खालिस्तानी अलगाववादी मोनिंदर सिंह बुआल, परमिंदर पंगली, भगत सिंह बराड़ जैसे लोग शामिल हैं जो अपने खालिस्तानी एजेंडे को पूरा करने के लिए लालच देकर सिख युवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। सूत्रों ने  बताया कि हालांकि, बहुत से भारतीय प्रवासी युवा उनके इस एजेंडे का हिस्सा नहीं बन रहे जिस कारण उन्हें मुश्किलों का  सामना करना पड़ रहा है । 

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रिपोर्ट के मुताबिक खालिस्तान समर्थक चरमपंथी भोले-भाले कमजोर तबके के युवाओं को प्लंबर, ट्रक ड्राइवर अथवा गुरुद्वारों में सेवादार, पाठी और रागी का धार्मिक काम करने के लिए कनाडा बुलाकर गलत कामों के लिए उनका शोषण कर रहे हैं। दरअसल कनाडा का वीजा हासिल करने वाली प्रक्रिया काफी कठिन और महंगी है और खालिस्तानी चरमपंथी कनाडा के प्रति भारतीय सिख युवाओं का मोह देख कर इसी बात का फायदा उठा रहे हैं।  खालिस्तान समर्थक चरमपंथी भारत से कनाडा आने को इच्छुक सिख युवाओं को अपने बल पर वीजा दिलवाते हैं और बदले में कनाडा आकर सिख युवाओं को उनकी मनमानियों का शिकार होना पड़ता है और भारत विरोधी प्रदर्शनों, कार्यक्रमों और कट्टर धार्मिक सभाओं का संचालन करने जैसी खालिस्तान समर्थक गतिविधियों में हिस्सा लेना पड़ता है।।

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खालिस्तानी चरमपंथी कनाडा में भारत के अन्य राज्यों से आए युवाओं और छात्रों को भी फंसाने की कोशिश करते हैं लेकिन सॉफ्ट टारगेट सिख युवक ही होते हैं जो धर्म के नाम पर बहक जाते हैं। खालिस्तान समर्थक उन लोगों की पहचान करते हैं जिनके लिए कनाडा में गुजारा करना मुश्किल हो रहा होता है क्योंकि उनके पास न तो नौकरी होती है और न रहने के लिए घर। लालच देकर खालिस्तानी चरमपंथी उनको अपनी कठपुतली बनाकर जमकर उनका शोषण करते हैं। खालिस्तान चरमपंथियों के लिए ऐसे लोगों तक पहुंचना अब और आसान हो गया है क्योंकि वो सर्रे, ब्रैम्पटन, एडमॉन्टन जैसे शहरों में 30 से अधिक गुरुद्वारों पर अपना प्रभाव रखते हैं।  सूत्रों ने बताया कि निज्जर, बुआल और बराड़ ने पंजाब में दविंदर बांभिया गिरोह, अर्श दल्ला गिरोह, लखबीर लांडा गिरोह जैसे गैंगस्टरों के साथ मिलकर एक गठबंधन भी बनाया था और इन वांटेड गैंगस्टर्स को कनाडा ले आए थे।

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रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में कुछ खालिस्तान समर्थन राजनीतिक दल एक से दो लाख रुपये लेकर सिख युवाओं को एक पत्र भी जारी करते हैं।  युवा इस पत्र का इस्तेमाल कनाडा में राजनीतिक शरण लेने के लिए करते हैं। पत्र खरीदने वाले युवा झूठा दावा करते हैं कि वो पार्टी कैडर हैं और भारत में धर्म के आधार पर उत्पीड़न झेल रहे हैं. ऐसे युवा कनाडा पहुंचते ही खालिस्तान समर्थक तत्वों में शामिल हो जाते हैं। सूत्रों ने बताया कि कनाडा में अवैध अप्रवासी और वो छात्र जिन्होंने कनाडा में अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है, लेकिन बेरोजगार रहे हैं, सबसे संवेदनशील हैं खालिस्तानी चरमपंथी उन्हें निम्न स्तर की नौकरी दिलवाते हैं और गुरुद्वारे के पैसे से रहने की भी व्यवस्था कराते हैं।  इसके बाद उनका इस्तेमाल खालिस्तान समर्थक कार्यों के लिए होता है।

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सूत्रों ने यह भी बताया कि जब इस्लामिक स्टेट समर्थित खालिस्तानी समूह सिख फॉर जस्टिस को अपने भारत विरोधी अभियान 'पंजाब इंडिपेंडेंस रेफरेंडम' के लिए समर्थन हासिल करना मुश्किल हो रहा था तब निज्जर और उसके दोस्तों ने बरगलाए हुए सिख युवाओं का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए किया था कि उनका अभियान सफल है। खालिस्तान चरमपंथियों के लिए ऐसे लोगों तक पहुंचना अब और आसान हो गया है क्योंकि वो सर्रे, ब्रैम्पटन, एडमॉन्टन जैसे शहरों में 30 से अधिक गुरुद्वारों पर अपना प्रभाव रखते हैं। 

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