‘कभी IS में शामिल होने के लिए जाने वाला था इराक, आज चला रहा है मोबाइल की दुकान’

Edited By Seema Sharma,Updated: 10 Feb, 2019 04:07 PM

was to go to iraq to join is ever running mobile shop today

जमील अंसारी (बदला हुआ नाम) महाराष्ट्र के बीड़ जिले में मोबाइल फोन रिपेयर की दुकान चलाता है। कोई भी यह अंदाजा नहीं लगा सकता कि महज दो साल पहले वह हजारों किलोमीटर दूर इराक जाकर खूंखार आतंकवादी संगठन आईएस में शामिल होने वाला था।

मुंबईः जमील अंसारी (बदला हुआ नाम) महाराष्ट्र के बीड़ जिले में मोबाइल फोन रिपेयर की दुकान चलाता है। कोई भी यह अंदाजा नहीं लगा सकता कि महज दो साल पहले वह हजारों किलोमीटर दूर इराक जाकर खूंखार आतंकवादी संगठन आईएस में शामिल होने वाला था। भला हो महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) का, जिसने अंसारी का मन बदला और उसे रोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया। वह इराक और सीरिया के आईएस की ऑनलाइन भर्ती के चंगुल में फंस गया था जिन्होंने उसे लगभग कट्टरपंथी बना दिया था। एटीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वह अकेला ऐसा व्यक्ति नहीं है।

महाराष्ट्र में कई युवक खासतौर से पिछड़े क्षेत्र के युवक आईएस के जाल में फंस चुके थे लेकिन अब वह रोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम की मदद से सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। 35 साल के स्नातक अंसारी की 2016 में सेल्समैन की नौकरी चली गई थी और वह काफी समय ऑनलाइन बिताने लग गया था जहां वह आईएस के कुछ लोगों के संपर्क में आया और जल्द ही कट्टर बन गया। अधिकारी ने बताया कि उसकी ऑनलाइन गतिविधियां उसे जांच के दायरे में लेकर आई। एटीएस के अधिकारियों ने पाया कि अंसारी आईएस के प्रोपेगैंडा में फंस गया जिसके बाद उसकी काउंसिलिंग की गई। अधिकारी ने बताया कि एटीएस धार्मिक नेताओं और मौलवियों की मदद से ऐसे लोगों को फिर से मुख्यधारा में लाने के लिए एक कार्यक्रम चलाती है जिसमें उनकी काउंसिलिंग की जाती है। मराठावाड़ा में एटीएस ने पिछले दो साल में ऐसे 400 लोगों की पहचान की जिनके आईएस के प्रभाव में होने का संदेह था।

अधिकारी ने बताया कि जब किसी व्यक्ति को कट्टरपंथी बना दिया जाता तो फिर उसे आईईडी या अन्य हथियार बनाना सिखाया जाता। कुछ को इराक में आईएस में शामिल होने के लिए भी उकसाया जाता। गौरतलब है कि एटीएस ने पिछले महीने औरंगाबाद और ठाणे जिलों से रासायनिक हमले करने के आरोप में नौ लोगों को गिरफ्तार किया था। एटीएस प्रमुख अतुलचंद्रा कुलकर्णी ने बताया कि उन्हें महसूस हुआ कि मुस्लिम समुदाय के ऐसे लोगों के लिए मुख्य समस्या बेरोजगारी है जिससे वे ऑनलाइन कट्टर बन रहे हैं और आईएस के चंगुल में फंस रहे हैं। कुलकर्णी ने कहा कि बड़ी चुनौती ऐसे लोगों का जीवन फिर से पटरी पर लाना होता है और हमने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे ग्रामीण स्व रोजगार प्रशिक्षण संस्थानों में इसका समाधान पाया। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि पिछले साल इन संस्थानों में ऐसे 239 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। तीस लोगों को प्रशिक्षण दिये जाने के बाद उन्हें अपना खुद का धंधा शुरू करने के लिए बैंक से कर्ज भी मिला।

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