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Uttarkashi Tunnel History : जुलाई 2018 में शुरू हुआ था काम, 1383 करोड़ का खर्चा, आखिर क्यों सुरंग बनना है जरूरी

Edited By rajesh kumar,Updated: 28 Nov, 2023 08:06 PM

work started in july 2018 why is it necessary to build a tunnel

16 दिन सुरंग के अंदर बीते...17वें दिन बाहर आकर आकाश देखा...उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा में बनी सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के लिए यह जो समय था वो दिल दहलाने वाला रहा।

नेशनल डेस्क: 16 दिन सुरंग के अंदर बीते...17वें दिन बाहर आकर आकाश देखा...उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा में बनी सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के लिए यह जो समय था वो दिल दहलाने वाला रहा। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा में बनी सुरंग में दीपावली के दिन बड़ा हादसा हो गया था। इस हादसे में निर्माणाधीन सुरंग में 41 श्रमिक फंस गए, जिन्हें बाहर निकालने का काम शुरू हो गया है। शाम करीब 6.30 बजे पांच मजदूरों को बाहर निकाला गया। जिसके बाद मजदूरों के परिवारों ने राहत की सांस ली। ऐसे में हमें जानना चाहिए कि आखिर घटनास्थल का शिकार हुई सुरंग क्या है? यह कब बननी शुरू हुई थी? इसकी लागत कितनी है?

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घटनास्थल का शिकार हुई सुरंग क्या है? 
दरअसल, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने सिल्क्यारा में 4.531 किमी लंबी दो लेन और दो दिशा वाली सुरंग का निर्माण शुरू किया है। एमओआरटीएच के मुताबिक, इस सुरंग का निर्माण उत्तराखंड में चारधाम महामार्ग परियोजना के हिस्से के रूप में राडी पास क्षेत्र के अंतर्गत गंगोत्री और यमुनोत्री आधार को जोड़ने के लिए किया जा रहा है। 
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1383 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही सुरंग 
मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि मेसर्स राष्ट्रीय राजमार्ग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) इस परियोजना पर कार्य कर रही है। मार्च 2018 को योजना के कार्यान्वयन के लिए 1383 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई। बयान में कहा गया कि इस सुरंग के निर्माण से तीर्थयात्रियों को अत्यधिक लाभ होगा क्योंकि यह हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इससे राष्ट्रीय राजमार्ग-134 (धरासु-बड़कोट-यमुनोत्री रोड) की 25.6 किमी हिम-स्खलन प्रभावित लंबाई घटकर 4.531 किलोमीटर रह जाएगी। सुरंग के निर्माण से यात्रा का मौजूदा समय 50 मिनट से घटकर महज पांच मिनट रह जाएगा।
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जुलाई 2018 में शुरू हुआ सुरंग का काम 
इस परियोजना का कार्यान्वयन 9 जुलाई 2018 को शुरू हुआ और 8 जुलाई 2022 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया था। काम में देरी के कारण इसकी वर्तमान प्रगति 56 प्रतिशत है और 14 मई 2024 तक पूरा होने की संभावना है। फिलहाल लगभग 4060 मीटर यानी 90 प्रतिशत लंबाई का कार्य पूरा हो चुका है और 477 मीटर लंबाई के लिए खुदाई का काम चल रहा है। इसके साथ ही हेडिंग वाले हिस्से की बेंचिंग आदि की अन्य गतिविधियां भी चल रही हैं। सिलक्यारा की ओर से 2350 मीटर तक और बड़कोट की ओर से 1710 मीटर तक हेडिंग की जाती है।

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