कानून की कमजोरी का फायदा उठा रहे हैरोइन तस्कर

Edited By ,Updated: 31 Jan, 2015 02:34 AM

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एक ओर केन्द्र सरकार व पंजाब सरकार नशे के खिलाफ सख्त अभियान चलाने का दावा कर रही हैं तो दूसरी तरफ हैरोइन व अन्य ...

अमृतसर (नीरज): एक ओर केन्द्र सरकार व पंजाब सरकार नशे के खिलाफ सख्त अभियान चलाने का दावा कर रही हैं तो दूसरी तरफ हैरोइन व अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री करने वाले तस्करों की प्रापर्टी कुर्क करने के लिए कोई सख्त कानून नहीं बनाया गया है। 

एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत नशा तस्करों की प्रापर्टी कुर्क करने का प्रावधान तो है लेकिन हालत यह है कि कुर्की करने की अदालती प्रक्रिया में कई वर्ष का समय लग जाता है। स्थिति यह हो जाती है कि हैरोइन की स्मगलिंग करने वाले बड़े-बड़े तस्कर एक बार पकड़े जाने के बाद इसलिए दोबारा स्मगलिंग शुरू कर देते हैं क्योंकि उन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो पाती है। 
 
जेल के अन्दर भी ऐसे तस्करों को हर प्रकार की सुविधाएं मिल जाती हैं और यहां तक कि मोबाइल भी उपलब्ध हो जाता है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि हैरोइन तस्कर की जायदाद को सरकार कुर्क कर ले तो शायद दोबारा स्मगलिंग के काले कारोबार में कोई तस्कर नहीं आएगा लेकिन तस्करों को शह इसलिए मिल जाती है क्योंकि उनकी जायदाद व नकदी बचे रहते हैं। 
 
चाहे केन्द्रीय सुरक्षा एजैंसियां हों या फिर प्रांतीय सुरक्षा एजैंसियां, बहुत कम मामलों में देखा गया है कि किसी हैरोइन तस्कर की प्रापर्टी को कुर्क किया गया हो जबकि इन तस्करों ने हैरोइन की स्मगलिंग करके करोड़ों की नहीं बल्कि अरबों रुपए की नाजायज सम्पत्ति बनाई होती है। इतना ही नहीं, एक बार पकड़े जाने के बाद इन तस्करों को जेल से पैरोल भी मिल जाती है और पैरोल पर आने के बाद ये तस्कर दोबारा स्मगलिंग के काले कारोबार में शामिल हो जाते हैं। कुछ तस्करों को तो पैरोल पर आने की भी जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि वे जेल के अन्दर से ही अपना नैटवर्क चलाते रहते हैं। 
 
डी.आर.आई. की टीम की तरफ से 25 जनवरी को 42 किलो हैरोइन के साथ रंगे हाथों पकड़े गए जगदीप सिंह का मामला सामने आने के बाद यह साबित हो चुका है कि हैरोइन तस्कर कानून की कमजोरी का सरेआम फायदा उठा रहे हैं और पाकिस्तानी एजैंसियों की मदद करते हुए न सिर्फ हमारे देश की नौजवान पीढ़ी को बर्बाद कर रहे हैं बल्कि जाली करंसी के जरिए हमारे देश की अर्थव्यवस्था को भी कमजोर कर रहे हैं। 
 
तरनतारन जिले के कस्बा सरहाली के गांव ठट्ठा के सरपंच अमनदीप सिंह की ही हिस्ट्रीशीट देख लें तो पता चलता है कि उसका चाचा अमोलक सिंह व शीतल सिंह भी हैरोइन तस्करी के कई केसों में वांछित चल रहे है और इस समय भगौड़े चल रहे हैं लेकिन इस परिवार की महाराष्ट्र, राजस्थान व यू.पी. जैसे राज्यों में बनाई गई नाजायज संपति को कुर्क करने के लिए अभी तक कोई सफल कार्रवाई नहीं हो सकी है क्योंकि ऐसे तस्करों को कुछ स्वार्थी नेताओं की शह मिली होती है। 
 
अकाली सरपंच अमनदीप सिंह के सरपंची चुनावों की बात कर लें तो पता चला है कि अमनदीप ने अपनी सरपंची के चुनावों में 5 करोड़ रुपए खर्च किए थे और स्थानीय कैबिनेट मंत्री ने अमनदीप को सरपंची की टिकट दिलाई थी। अमनदीप को स्थानीय पुलिस अधिकारियों की भी पूरी शह मिली हुई थी। 
 
सूत्रों का कहना है कि अमनदीप के घर कोई पुलिस अधिकारी भी डर के मारे रेड नहीं कर पाता था। इन हालात को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे पुलिस को कुछ नेताओं ने अपना गुलाम बनाकर रखा हुआ है। नशे के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ चुके और कई नामी तस्करों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले एक सुरक्षा एजैंसी के अधिकारी ने बताया कि तस्करों की प्रापर्टी को कुर्क करने के लिए एन.डी.पी.सी. एक्ट के तहत अदालती प्रक्रिया में ही कई वर्ष लग जाते हैं जबकि ऐसे लोगों के खिलाफ अलग से फास्टट्रैक अदालतें होनी चाहिएं जिसमें ऐसे केसों का निपटारा वर्षों में नहीं बल्कि कुछ महीनों में होना चाहिए ताकि दोबारा कोई भी तस्कर हैरोइन की स्मगलिंग करने का साहस न कर सके लेकिन ऐसा होता नहीं है। 
 
कानूनी माहिरों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा नशे के खिलाफ जारी अभियान को तभी सफल बनाया जा सकता है जब नशा तस्करों के केसों का निपटारा करने के लिए अलग से फास्टट्रैक अदालतें बनाई जाएं और स्मगलरों की प्रापर्टी को कुर्क करने की प्रक्रिया वर्षों में नहीं बल्कि कुछ सप्ताह में पूरी होनी चाहिए। इससे ज्यादा हैरानी की बात और क्या हो सकती है कि आज तक इंडिया के मोस्ट वांटेड दाउद इब्राहीम कास्कर की मुंबई व अन्य राज्यों में बेनामी जायदाद कुर्क नहीं हो सकी है।

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