क्या इंसाफ मिलेगा?

Edited By ,Updated: 24 Apr, 2015 05:22 AM

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पंजाब सरकार से पैंशन न मिलने से दुखी होकर आत्मदाह करने वाले ढिलवां (कपूरथला) के 83 वर्षीय सोमनाथ के परिजनों का अभी तक सरकार ने हाल नहीं पूछा...

जालंधर (धवन): पंजाब सरकार से पैंशन न मिलने से दुखी होकर आत्मदाह करने वाले ढिलवां (कपूरथला) के 83 वर्षीय सोमनाथ के परिजनों का अभी तक सरकार ने हाल नहीं पूछा। मुख्यमंत्री या किसी अन्य मंत्री ने परिवार से फोन पर भी बात नहीं की। 

स्व. सोमनाथ की पत्नी राज रानी तथा पुत्र सुभाष चंद्र ने आज यहां बातचीत करते हुए कहा कि नवम्बर, 2014 के बाद से उनके पिता को पैंशन नहीं मिल रही थी। वह अन्य पैंशनरों के साथ सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट कर थक चुके थे। 
 
उन्होंने कहा कि सोमनाथ ने अपनी पैंशन के लिए नहीं बल्कि अन्य पैंशनरों को समय पर पैंशन देने के लिए सरकार की आंखें खोलने के लिए आत्मदाह किया। दुख की बात यह है कि निकट ही कुछ पुलिस कर्मचारी खड़े हुए थे जिन्होंने सोमनाथ को बचाने की कोशिश नहीं की। उन्होंने बताया कि सोमनाथ अन्य पैंशनरों के साथ पैंशन के मुद्दे पर लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे। इससे पहले वह 3 बार भूख हड़ताल भी कर चुके थे। 
 
पारिवारिक सदस्यों ने बताया कि गत शनिवार को सोमनाथ घर से किसी को कुछ कहे बिना सुबह ही निकल गए थे। पहले वह प्रशासनिक कार्यालय गए, जहां पैंशन के मामले में उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, फिर वह बैंक गए परन्तु वहां से भी निराशा की हालत में बाहर आकर उन्होंने अपने ऊपर मिट्टी का तेल डालकर स्वयं को जला दिया। 
 
सोमनाथ को तुरन्त अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां से उन्हें सी.एम.सी. लुधियाना रैफर कर दिया गया। चूंकि उनका शरीर 95 प्रतिशत जल गया था इसलिए उन्होंने दम तोड़ दिया।  रैडक्रास की ओर से 1 लाख रुपए की राशि इलाज के लिए दी गई थी, जिसमें से केवल 18,000 रुपए खर्च हुए, शेष राशि रैडक्रास को वापस कर दी गई। मृतक के बेटे सुभाष चंद्र ने कहा कि पंजाब सरकार ने परिवार को कोई वित्तीय मदद नहीं दी और न ही किसी पारिवारिक सदस्य को सरकारी नौकरी के लिए कहा है।
 
पोस्टमार्टम भी देरी से करवाया गया तथा पुलिस के कड़े सुरक्षा घेरे में उनका अंतिम संस्कार किया गया।  उन्होंने कहा कि पिता ने आत्मदाह से पहले जो बैनर अपने हाथ में पकड़ा हुआ था उस पर लिखा था कि उनकी मौत के लिए बादल सरकार जिम्मेदार होगी।  सोमनाथ की पत्नी राज रानी ने कहा कि उनके बेटे को सरकारी नौकरी दी जाए तथा अन्य पैंशनरों की रोकी हुई पैंशन बहाल की जाए। जिन पुलिस कर्मचारियों ने उनके पति को बचाने की कोशिश नहीं की, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। 

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