वैशाख पूर्णिमा: भाग्य छोड़ चुका है आपका साथ तो आज ये करना न भूलें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 May, 2019 11:40 AM

vaishak purnima 2019

वैशाख पूर्णिमा के दिन 18 मई 2019 को पितृ दोष, गुरुदोष निर्वारण हेतु गंगा स्नान तथा कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में पितरों के तर्पण व भगवान विष्णु पूजा, सत्यनारायण व्रत कथा का विशेष पुण्य व फल प्राप्त होता है तथा

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जालन्धर (धवन): वैशाख पूर्णिमा के दिन 18 मई 2019 को पितृ दोष, गुरुदोष निर्वारण हेतु गंगा स्नान तथा कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में पितरों के तर्पण व भगवान विष्णु पूजा, सत्यनारायण व्रत कथा का विशेष पुण्य व फल प्राप्त होता है तथा वेद विद्या रहित मनुष्यों का भी उदार हो जाता है। धर्मग्रंथों में पीपल में भगवान विष्णु, वट वृक्ष में भगवान शंकर तथा तुलसी में लक्ष्मी का वास माना जाता है। वैशाख पूर्णिमा को दीपदान, सत्यनारायण कथा, ब्रह्म भोज करने से इस जन्म तथा पूर्व जन्म के पाप नष्ट होते हैं। 

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नारनौल (हरियाणा) के ज्योतिषी पं. अशोक प्रेमी बंसरीवाला ने कहा कि वैशाख पूर्णिमा व्रत से इच्छित फल प्राप्त होता है। वैशाख  पूर्णिमा व्रत करने से भौतिक सुख ही नहीं अपितु मोक्ष प्राप्ति की कामना भी पूर्ण होती है। प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में सर्व कार्यों से निपट कर स्नान आदि से शुद्ध होकर भगवान नारायण की पूजा की जाती है। शालीग्राम को स्नान आदि करवा कर वस्त्र आदि पहनाए जाते हैं। नैवेद्य में केला, नारियल, सुपारी, आंवला, अनार, लौंग, माखन-मिश्री पंचामृत, पंजीरी रखी जाती है। मिष्ठान से भोग आरती के उपरांत प्रसाद (लंगर) वितरित कर देना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि बाद में 101 ब्राह्मणों व जरूरतमंदों को भोजन करवाने से आपकी मुराद पूरी होती है। यदि पितरों को कोई कष्ट होता तो वह भी दूर हो जाता है।

वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखने वालों को अभिष्ट सिद्धि होती है। यह भगवान विष्णु के वचन हैं। यह व्रत हर कार्य में सफलता देता है। आरती के दौरान शंख ध्वनि से धन लाभ ही नहीं स्वास्थ्य लाभ भी होता है। शंख बजाने से कभी फेफड़ों के रोग नहीं होते। शंखस्य जल के सेवन से वास्तुदोष व वाणी दोष दूर हो जाते हैं। 

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भारतीय पूजा पद्धति में मंदिरों में जाकर आरती करना, शंख ध्वनि करना तथा शंख से जल में मार्जन करना विशेष महत्व रखता है जैसे दीपक की लौ सदैव उभर जाती है, उसी प्रकार आरती करने वाले भक्त को भी उर्ध्व गति प्राप्त होती है। तुलसी की एक मंजरी अर्पित करने से जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु जी प्रसन्न हो जाते हैं। श्रद्धापूर्वक तुलसी की माला गले में धारण करने से क्रोध व तनाव दूर होते हैं तथा अद्भुत शांति का आभास होता है। रविवार को छोड़ कर प्रतिदिन तुलसी का दीपदान व जल देने से स्त्रियां सदा सुहागन रहती हैं। विष्णु पुराण के अनुसार वैशाख पूर्णिमा को योग्य सुपात्र ब्राह्मण को गोदान करने से उसे नरक का मुंह नहीं देखना पड़ता तथा नरकीय यातनाएं नहीं सहनी पड़ती। 

जिन जातकों की कुंडली में राहू दूसरे, 5वें व 9वें भाव में तथा बृहस्पति दूसरे व नवम् भाव में अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें सर्वपितृ दोष निवारण प्रयोग कर पितरों की मोक्ष व कामना पूर्ण करनी चाहिए।

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