गुजरात पैटर्न: सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को सुबह का नाश्ता देने की तैयारी

Edited By Sonia Goswami,Updated: 11 Sep, 2018 12:22 PM

gujarat patron preparation to give breakfast to students of government schools

फंडों की देरी या फिर फूड ग्रेन के अभाव के चलते बेशक सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील कुछ दिनों तक बंद होने की खबरें आती रही हों, लेकिन केंद्र सरकार अब गुजरात की तर्ज पर ऐसी योजना बना रही है, जिससे आने वाले दिनों में देश भर के सरकारी स्कूलों में पढऩे...

लुधियाना (विक्की): फंड की देरी या फिर फूड ग्रेन के अभाव के चलते बेशक सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील कुछ दिनों तक बंद होने की खबरें आती रही हों, लेकिन केंद्र सरकार अब गुजरात की तर्ज पर ऐसी योजना बना रही है, जिससे आने वाले दिनों में देश भर के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को मिड-डे मील के साथ-साथ सुबह का नाश्ता मिलना भी शुरू हो जाएगा, इसकी संभावना है। सुबह से स्कूल आए बच्चों को भोजन के इंतजार में भूखे बैठे रहना पड़ता है। इसको ध्यान में रखते हुए गुजरात में बच्चों को सुबह का नाश्ता देना शुरू किया गया था। गुजरात के बाद देश के अन्य राज्यों में भी उक्त योजना लागू करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय जल्द ही सभी राज्यों की बैठक बुलाने जा रहा है। 

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गुजरात सरकार ने स्वयं किया फूड ग्रेन का प्रबंध
गुजरात सरकार ने पिछले वर्ष सितम्बर से सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील के साथ सुबह का नाश्ता भी बच्चों को देना शुरू किया था। इसके लिए राज्य सरकार ने कोई अलग से बजट नहीं बनाया था, बल्कि मिड-डे मील योजना के तहत मिलने वाली खाद्य सामग्री से ही नाश्ता तैयार किया जाता है। अध्ययन में पाया गया है कि ज्यादातर बच्चों को सिर्फ दोपहर के भोजन से पर्याप्त कैलोरी नहीं मिल पाती। गुजरात सरकार का तर्क था कि सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को मिड-डे मील से पहले और बाद में पौष्टिक भोजन काफी कम मात्रा में मिलता है, जिसका असर बच्चों के स्वास्थ्य पर हो रहा है। ऐसे में, बच्चों के स्वास्थ्य के मद्देनजर नाश्ता देना शुरू किया गया। नाश्ता मिलना शुरू होते ही स्कूलों के ड्राप आऊट रेशो में भी कमी आई और स्कूल के नाम से दूर भागने वाले बच्चों का रुख भी स्कूलों की ओर हो गया। 

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ड्रॉप आउट में आई कमी
एम.एच.आर.डी. के एक सूत्र के मुताबिक, 72 फीसदी बच्चों का कहना है कि मिड-डे मील की वजह से कक्षा में पढ़ाई को लेकर उनकी एकाग्रता बढ़ी है। स्कूल जा रहे 92 फीसदी बच्चों को मिड-डे मील मिल रहा है। 92 फीसदी शिक्षकों और 80 फीसदी माता-पिता ने माना कि मिड-डे मील से स्कूलों में नामांकन और उपस्थिति बढ़ी है। 

राज्यों को अलग से फंड देने में दिक्कत
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राज्य सरकारों से गुजरात मॉडल पर अपने यहां भी मिड-डे मील के अलावा सुबह का नाश्ता देने के लिए कहा है। अधिकतर राज्य इसके लिए तैयार हैं, लेकिन वे इसके लिए अलग से सहायता राशि चाहते हैं। एक अधिकारी के मुताबिक, केंद्र इसके लिए अलग से पैसा देने को तैयार नहीं है। केंद्र सरकार राज्यों को यह सुविधा दे सकती है कि केंद्र की ओर से मिड-डे मील के लिए जारी राशि में से बचने वाले पैसे को केंद्र को लौटाने के बजाय राज्य उसका इस्तेमाल कर ले।

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