Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jun, 2017 02:14 AM
सच कहता हूं कि मुझे बहुत जल्दी संदेह होने लगता है। बहुत कम मौकों....
सच कहता हूं कि मुझे बहुत जल्दी संदेह होने लगता है। बहुत कम मौकों पर मैं किसी बात पर तत्काल विश्वास करता हूं। वास्तव में मैं यह कहना चाहूंगा कि यह खूबी अधिकतर पत्रकारों में पाई जाती है। किसी बयान पर टिप्पणी करते हुए हम हमेशा ही सवाल करते हैं, ‘‘मैं हैरान हूं कि उसने ऐसा बयान क्यों दिया?’’
इसलिए सोमवार को जब प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी को जन्म दिवस पर ट्वीट करके यह कहते हुए सद्भावना व्यक्त की कि ‘मैं आपकी लम्बी और स्वस्थ आयु के लिए प्रार्थना करता हूं’ तो उन्होंने सहज बुद्धि से यह भांप लिया था कि इसमें जो दिखाई देता है उससे भी कुछ गहरे अर्थ हैं। राहुल गांधी जितने लम्बे समय तक जिएंगे उतने ही अधिक समय के लिए वह कांग्रेस पार्टी की बागडोर संभाले रखेंगे और इसलिए मोदी भी अधिक समय तक विपक्ष को आसानी से पराजित कर सकेंगे। मैं यह देख कर हैरान हूं कि प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी के अमर होने की कामना क्यों नहीं की।
आप कहेंगे कि ऐसी बात करके क्या मैं शरारत नहीं कर रहा? निश्चय ही मैं ऐसा कर रहा हूं। वैसे दबी जुबान में टिप्पणी करने की कला से राजनीतिज्ञ अनभिज्ञ नहीं होते और उनमें से सबसे तेज-तर्रार तो इस कला के उस्ताद होते हैं। मोदी नि:संदेह इसी वर्ग में आते हैं। यह स्पष्ट तौर पर कोई पहला मौका नहीं है जब किसी राजनीतिज्ञ की शुभकामनाओं में छिपे हुए और दोहरे अर्थ प्रकट हुए हों। पूर्व आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड ने 2012 में मुझे साक्षात्कार देते हुए विपक्ष के तत्कालीन नेता टोनी ऐबट के संबंध में एक बहुत ही यादगारी टिप्पणी की।
उन दिनों टोनी ऐबट के कथित सैक्सिज्म एवं लैंगिक कुंठाओं के संबंध में पार्लियामेंट में गिलार्ड ने जो ताबड़-तोड़ हल्ला बोला था वह इंटरनैट पर वायरल हो गया था। ऐन शाब्दिक अर्थों में उन्होंने ऐबट को ऐसे आड़े हाथों लिया था जैसे वह कोई असभ्य और जंगली जीव हो। वह बस इतना ही कर पाया था कि असहाय बैठा रहा और मुस्कुराता रहा। मैंने गिलार्ड को बताया कि जिस तरह ऐबट सदमे में और गुमसुम बैठे हैं उन्हें देखकर मैं अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा हूं और गिलार्ड को कहा, ‘‘क्या आप इस आदमी को पसंद करती हैं?’’ गिलार्ड की प्रतिक्रिया बिल्कुल तात्कालिक थी : ‘‘यह तो बहुत कठिन सवाल है। हर रोज मैं विपक्ष के नेता के बारे में सोचते हुए ढेर सारा समय बिताती हूं। फिर भी मेरे मन में उसके प्रति कोई दुर्भावना नहीं है और मैं उम्मीद करती हूं कि वह जीवन भर विपक्ष का नेता बना रहे।’’
यह टिप्पणी दोहरे अर्थों का एक जीवंत उदाहरण थी। देखने को तो उन्होंने टोनी ऐबट के लिए कामना की थी कि वह लम्बे समय तक विपक्ष के नेता बने रहें लेकिन इसका छुपा हुआ अर्थ बिल्कुल बिच्छु के डंक जैसा था। गिलार्ड की इस कामना का अर्थ था कि ऐबट कभी भी प्रधानमंत्री न बने। आस्ट्रेलियाई मीडिया ने इस टिप्पणी को हाथों-हाथ लपका। फिर भी अपने विरोधी की लम्बी आयु की कामना करने का दाव कभी-कभार उलटा पड़ जाता है जैसा कि अभी-अभी टैरेसा मे के साथ हुआ है। जून माह के जनमत संग्रह से पूर्व केवल टैरेसा नहीं बल्कि सभी टोरी नेता अक्सर ही विपक्ष के नेता जैरेमी कोर्बिन के लिए लम्बी आयु की कामना किया करते थे क्योंकि वे मानते थे कि जितने अधिक समय तक वह विपक्ष के नेता बने रहेंगे उतनी ही लम्बी अवधि तक कंजर्वेटिव पार्टी सत्ता में बनी रहेगी।
यह भी सुनने में आया है कि कुछ टोरी नेता सचमुच ही लेबर पार्टी में शामिल हो गए थे ताकि वे कोर्बिन के पक्ष में मतदान करके उनका विपक्ष के नेता के रूप में अस्तित्व बनाए रखें। लेकिन जून चुनाव के नतीजों ने हर विवेक का शीर्ष आसन कर दिया और कोर्बिन को हर किसी का मजाक उड़ाने का मौका मिल गया। उनकी कारगुजारी ने यह सुनिश्चित कर दिया कि वह विपक्ष के नेता तो बने ही रहेंगे, साथ ही उनकी अपनी पार्टी पूरी तरह उनके पीछे एकजुट रहेगी। अब वह कंजर्वेटिव पार्टी के लिए सबसे बड़ी एकमात्र चुनौती बने हुए हैं। यदि अतीत में कोर्बिन की कथित नालायकी से टोरियों को इतराने का मौका मिलता था तो आज उनकी जोरदार लोकप्रियता ही एकमात्र कारण है जिसके चलते कंजर्वेटिव पार्टी टैरेसा मे के समर्थन में एकजुट है। अब कोर्बिन के कारण ही टैरेसा मे को जीवनदान मिला है।
फिलहाल तो ऐसा कोई खतरा नहीं कि मोदी द्वारा राहुल को भेजी गई जन्मदिन शुभकामना का दाव उसी तरह उलटा पड़ेगा जैसे कंजर्वेटिव पार्टी वाले कोॢबन को चिढ़ाया करते थे और अब टैरेसा मे स्वयं उपहास पात्र बनी हुई हैं। भारत में ऐसा तभी हो सकता है यदि राहुल बहुत अधिक लोकप्रिय और परिपक्व नेता बन जाएं। मैं दो टूक कहना चाहूंगा कि मुझे निकट भविष्य में ऐसा होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही। अधिकतर कांग्रेसियों की भी मेरे जैसी ही स्थिति है।लेकिन राजनीति में प्रसन्नता की बात यह है कि आप यह नहीं जान सकते कि कब सब कुछ उलटा-पुलटा हो जाएगा। राहुल गांधी भी इससे अधिक कोई कामना नहीं कर सकते कि हे भगवान, सब कुछ उलटा-पुलटा हो जाए!