दूसरी तिमाही में वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमानः HSBC

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Nov, 2017 05:38 PM

estimates of growth rate of 6 3 percent in second quarter  hsbc

ब्रिटेन की ब्रोकरेज कंपनी एच.एस.बी.सी. ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल मूल्य वद्र्धन (जीवीए) 6.3 प्रतिशत रह सकता है। साथ ही मुद्रास्फीति जोखिम के कारण रिजर्व बैंक अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कमी लाने से...

मुंबईः ब्रिटेन की ब्रोकरेज कंपनी एच.एस.बी.सी. ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल मूल्य वद्र्धन (जीवीए) 6.3 प्रतिशत रह सकता है। साथ ही मुद्रास्फीति जोखिम के कारण रिजर्व बैंक अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कमी लाने से बचेगा।  जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि का आंकड़ा गुरूवार को जारी होने की संभावना है वहीं रिजर्व बैंक 6 दिसंबर को मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करेगा।

ब्रोकरेज कंपनियों के अर्थशास्त्रियों के अनुसार, ‘‘पुनरूद्धार हल्का रहने की संभावना है जबकि मुद्रास्फीति जोखिम बढ़ा है।’’  एक नोट में उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही में जीवीए 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह इससे पूर्व तिमाही में तीन साल के न्यूनतम स्तर 5.7 प्रतिशत के मुकाबले अधिक है। हालांकि 6.3 प्रतिशत की वृद्धि अर्थव्यवस्था की क्षमता से कहीं कम है। इसमें कहा गया है कि प्रमुख फसल का उत्पादन कम होने से कृषि वृद्धि नरम रहेगी।

महंगाई दर के ऊपर जाने का जोखिम
पशुपालन क्षेत्र में वृद्धि दीर्घकालीन औसत से कम रहेगी जिसका असर कृषि वृद्धि पर पड़ेगा वहीं औद्योगिक वृद्धि 4 प्रतिशत से अधिक रहेगी क्योंकि विनिर्माण क्षेत्र में तेजी आ रही है।  मुद्रास्फीति के बारे में नोट में आगाह किया गया है कि खाद्य मुद्रास्फीति के साथ मुख्य मुद्रास्फीति और ईंधन के कारण आने वाले महीनों में महंगाई दर के ऊपर जाने का जोखिम है।

मुख्य मुद्रास्फीति (कोर) जून में कम होने के बाद 4 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गयी है और इसके ऊपर बने रहने की आशंका है। इसका कारण घरेलू सामान तथा सेवाएं, स्वास्थ्य, व्यक्तिगत देखभाल जैसे जिंसों के दाम में तेजी है।  इसके अलावा ईंधन पर उच्च शुल्क में कटौती की सीमित गुंजाइश को देखते हुए ईंधन मुद्रास्फीति भी जोखिम का कारण है।  नोट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति जोखिम को देखते हुए रिजर्व बैंक आने वाले समय में रेपो दर को 6 प्रतिशत पर बरकरार रखा सकता है।  

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