Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Oct, 2017 12:57 AM
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने दुनिया भर के नीति निर्माताओं से ऐसे निर्णय लेने का आह्वान किया जो आॢथक सुधारों को ‘सतत’ बनाएं ताकि व्यापक आधार पर चल रहे इन वैश्विक आर्थिक सुधारों का लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिल...
वाशिंगटन: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने दुनिया भर के नीति निर्माताओं से ऐसे निर्णय लेने का आह्वान किया जो आर्थिक सुधारों को ‘सतत’ बनाएं ताकि व्यापक आधार पर चल रहे इन वैश्विक आर्थिक सुधारों का लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिल सके।
आई.एम.एफ. और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक शुरू होने पर एक प्रैसवार्ता में क्रिस्टीन ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि यह समय आत्मसंतुष्ट होने का नहीं है बल्कि ऐसे नीतिगत निर्णय लेने का है जो वास्तव में ज्यादा से ज्यादा लोगों और देशों को इन सुधारों का लाभ दिला सकें। साथ ही ये निर्णय सुधारों को सतत बनाने वाले होने चाहिएं।’’ क्रिस्टीन ने कहा कि सुधार मजबूत हुए हैं और हाल के वर्षों में इनका आधार बहुत व्यापक रहा है। आई.एम.एफ. को इस साल वैश्विक आर्थिक वृद्धि के 3.6 प्रतिशत और अगले साल 3.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों ही स्थिति में यह उसके जुलाई के आकलन के मुकाबले 0.1 प्रतिशत अधिक है जबकि 2016 की 3.2 प्रतिशत वृद्धि दर की तुलना में बहुत ज्यादा है।’’ राजकोषीय स्तर पर क्रिस्टीन ने कहा कि देशों को बुनियादी संरचना, शिक्षा और श्रम बाजार में महिलाओं की पहुंच सुनिश्चित करने वाले संवेदनशील क्षेत्रों में निवेश करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अन्य देशों को इस क्षण का उपयोग बेहतर और मजबूत सुधारों के लिए करना चाहिए ताकि उनके सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में वे अपने सार्वजनिक ऋण को घटा सकें।’’
असमानता कम करने के लिए लैंगिक अंतर खत्म करना जरूरी
लेगार्ड ने कहा कि अर्थव्यवस्था के प्रत्येक आयाम में लैंगिक खाई खत्म करना असमानताओं को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है। उन्होंने कहा, ‘‘असमानताओं को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका पुरुषों और महिलाओं के बीच लैंगिक अंतर खत्म करना होगा और यह बहुत आसान काम है।’’ यह पूछे जाने पर कि अमीर व्यक्ति पर कर लगाकर इस समस्या को हल करने में मदद मिलेगी तो इस पर लेगार्ड ने असहमति जताई। लेगार्ड ने कहा, ‘‘मैं यह सुझाव दूंगी कि दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं में महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करने से असमानताएं कम होंगी।’’