सरकारी स्कूल की ऐसी दशा, बिजली-पानी का बिल भर रहे हैं शिक्षक

Edited By ,Updated: 24 Feb, 2017 01:37 AM

a case of public schools  electricity and water bills are filled teacher

शिक्षा विभाग के पास अब सरकारी स्कूलों के बिजली-पानी के बिल भरने के भी पैसे नहीं हैं। आलम यह है कि शिक्षकों को अपनी जेब से बिल के पैसे भरने पड़ रहे हैं।

चंडीगढ़, (आशीष): शिक्षा विभाग के पास अब सरकारी स्कूलों के बिजली-पानी के बिल भरने के भी पैसे नहीं हैं। आलम यह है कि शिक्षकों को अपनी जेब से बिल के पैसे भरने पड़ रहे हैं। शिक्षा विभाग की तरफ से इस बार नवम्बर और दिसम्बर की फंड राशि जारी नहीं की गई थी, जिसके परिणाम स्वरूप शिक्षकों को बिल अपनी जेब से अदा करना पड़ा।

अंदाजा लगाया जाए तो शहर के एक प्राइमरी स्कूल का दो महीने का बिजली-पानी का बिल 10 से 15 हजार रुपए के बीच आता है। इसके अलावा सीनियर सैकेंडरी स्कूल में यह आंकड़ा 40 से 45 हजार रुपए के बीच रहता है। यह बिल आना वाजिव भी है क्योंकि एक स्कूल में हजार से 1500 के करीब विद्यार्थी पढ़ते हैं।

जनवरी और फरवरी का बिल भी:

हालांकि शिक्षकों ने इस बार बिल अपनी जेब से अदा कर दिया है पर अगर जनवरी और फरवरी का फंड भी शिक्षा विभाग ने समय पर जारी न किया तो शिक्षकों को इस बार भी बिल उन्हें अदा करना पड़ेगा।

10 प्रतिशत एक्स्ट्रा चार्ज:

बिजली-पानी का बिल जमा कराने के लिए हफ्ते से दस दिन का समय होता है। अगर समय के बाद बिल जमा करवाया जाता है तो इसमेंं पैनल्टी के तौर पर 10 प्रतिशत ज्यादा अदा करना पड़ता है।

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