'हमारे तो चेहरे पर एसिड गिरा था, लोगों के तो दिमाग में एसिड भरा है जिसे निकालने की जरूरत है'

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Mar, 2018 12:18 PM

acid attack

एसिड से जली मैं, जिंदगी मेरी खराब हुई, आंखों की रोशनी तक चली गई

चंडीगढ़(पाल) : एसिड से जली मैं, जिंदगी मेरी खराब हुई, आंखों की रोशनी तक चली गई। इसके बावजूद लोगों ने मुझे ही दोषी ठहराया। यू.पी. की रहने वाली फराह खान पर उसके पति ने ही 11 फरवरी, 2011 को एसिड डाल दिया। 6 साल से पति के नाजायज संबधों को और उसकी मार सह रही फराह खान ने इन सालों में कई बार पति से अलग होने का फैसला लिया, लेकिन समाज व लोगों की शर्म ने उसे रोक लिया। 

 

वक्त के साथ-साथ जब बर्दाश्त करने की हिम्मत जवाब देने लगी तो साल 2009 में पति से तलाक लेने का फैसला लिया और कोर्ट में केस फाइल डाल दिया। अगले ही साल तलाक मिल गया। इस सबके बीच मेरे परिवार ने काफी साथ दिया। अब लगा कि जिंदगी बेहतर होगी। नहीं पता था कि कल तक मारपीट करने वाला पति इतना गुस्से में आ जाएगा कि मेरे घर आकर मुझ पर एसिड डाल देगा। मानो लगा कि किसी ने आग में फैंक दिया हो। 60 प्रतिशत तक जल गई। 

 

हार जाती तो उसका मकसद सफल हो जाता :
डाक्टरों को भी नहीं पता चला कि क्या इलाज करें। इलाज में देरी न होती तो शायद एक आंख की रोशनी बच जाती। एक आंख में 20 प्रतिशत रोशनी होने के बाद भी लगा कि दो-तीन दिन बाद घर चली जाऊंगी। चेहरा देखते हुए भी डर लगता था। हार जाती तो उसका मकसद सफल हो जाता। एक तरफ पुलिस कोर्ट के चक्कर, वहीं इलाज भी शुरू हो गया था। पति को सवा तीन साल की सजा हुई। असल मुश्किलें तो केस के बाद शुरू ही शुरू हुई।

 

सरकार, पुलिस जो सहयोग चाहिए था, वह नहीं मिला :
जिंदगी को फिर से जीने की तमन्ना थी घरवालों का साथ था। कढ़ाई का शौंक था, पर आंखों की रोशनी साथ नहीं दे रही थी। अब लखनऊ में एसिड अटैक सरवावइर की ओर से चलाए जा रहे शिरोज कैफे में काम कर रही हूं। गवर्नमैंट से 5 लाख रुपए मुआवजा मिला, लेकिन रुपयों से ऊपर किसी की जिंदगी नहीं हो सकती। बस एक बात का दुख हुआ था कि गवर्नमैंट व पुलिस से जिस तरह का सहयोग चाहिए था वह नहीं मिला। 
 

 

सिर पर पति ने डाल दिया एसिड, मैंने कभी उनका बुरा नहीं चाहा : कुंती
4 महीने काम किया फिर छोड़ दिया। 2009 में शादी हुई थी। इसके बाद से यही चल रहा था। घर का खर्चा भी ढंग से नहीं चलता था। यही सोचकर कि दोनों मिलकर काम करेंगे, तो अच्छा रहेगा। फैक्टरी में काम तो मिला, लेकिन इसके साथ ही पति का शक भी मिला। बोलते तो नौकरी छोड़ देती। 

 

एक दिन अचानक फैक्टरी में फोन कर बोले- कुछ जरूरी बात करनी है बाहर आओ। जैसे ही बाहर आई, सिर पर एसिड डाल दिया। एक महीना हॉस्पिटल में एडमिट रही। 2012 से 2016 चार सालों में कई सर्जरी हुई। रिश्तेदारों ने साथ छोड़ दिया। इतना सब कुछ होने के बावजूद मैंने कभी अपने पति का बुरा नहीं सोचा। उन्हें माफ कर दिया था। मैंने भले ही माफ किया हो, लेकिन परमात्मा ने 5 साल पहले मेरा इंसाफ ले लिया। 

 

मेरा बदला भगवान ने लिया, जिस दिन मेरे साथ हादसा हुआ, उसी दिन एक्सीडैंट में पति की मौत हुई :
22 अक्तूबर 2011 को मेरे साथ यह हादसा हुआ था। वहीं मेरे पति की 22 अक्टूबर 2017 को एक सड़क हादसे में मौत हो गई। वक्त के साथ आज मैं भी आगे बढ़ चुकी हूं। बाहर जाती हूं तो लोग अजीब सा देखते हैं पहले अजीब लगता था। हिम्मत नहीं होती थी किसी से नजरे मिलाने की। 

 

मेरे मां बाप कहते हैं कि मेरी बेटी बहुत सुंदर है अब मुझे भी लगता कि मैं बहुत संदुर हूं। मेरे चेहरे पर किसी ने एसिड डाला, लेकिन मुझे लगता है कि लोगों के दिमाग में एसिड भरा हुआ, जिसे निकालने की जरूरत है। सुंदरता चेहरे से नहीं बल्कि दिल व चरित्र से होती है।

 

14 साल की उम्र में हुआ हादसा, तीन साल बाद समझ आया क्या हुआ :
जिस वक्त मुझ पर एसिड अटैक हुआ, उस वक्त मेरी उम्र महज 14 साल की थी। लगा बीमार हूं ठीक हो जाऊंगी। हादसे के तीन साल बाद समझ आया कि मेरे साथ क्या हुआ। कसूर क्या था। बस अपने दीदी के देवर को शादी के लिए मना करना। मेरे घरवाले नहीं चाहते थे कि मेरी शादी उससे हो। 

 

जिस वक्त मेरे साथ यह हादसा हुआ मैं अपने दीदी के घर ही थी। पिता की मौत बचपन मैं ही हो गई थी। एक भाई मां चार बहनों की परवरिश भाई ने की। जिस दर्द को मैंने सहा, उसे बयां करना शायद मेरे लिए मुश्किल है। एसिड डालने के बाद भी वह मुझसे शादी करना चाहता था।

 

जो दर्द मैंने सहा, उसे भी महसूस होना चाहिए :
मैंने जो दर्द सहा, वहीं दर्द उसकों भी महसूस होना चाहिए। यही सोचकर मैंने अपने भाई को उससे शादी करवाने को बोला। सच मैं चाहती थी कि मैं भी उसे एसिड से ऐसा ही जलाऊं, जैसे उसने मुझे जलाया। भाई बोला-अगर तुम यही करोगी तो उससे और तुममें क्या फर्क होगा। 

 

आज सभी लोगों ने उससे रिश्ता तोड़ दिया है। मेरे जीजा और दीदी ने भी मेरा साथ दिया। जिस वक्त मेरे साथ हादसा हुआ, मेरे जीजा भी उसका शिकार हुए। 7 साल पहले मैं एसी नहीं थी। घर से बाहर जाते हुए भी डर लगा करता था। 8 साल हो गए मेरी शादी को, वक्त के साथ आज मैं आगे बढ़ चुकी हूं। अब काम कर रही हूं और एक बेटा भी है। 
 

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