Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jun, 2017 08:20 AM
चंडीगढ़ के पेड़ पुराने होने के साथ-साथ अब कई प्रकार के कीड़ों और बीमारियों की चपेट में भी आ रहे हैं।
चंडीगढ़ (विजय) : चंडीगढ़ के पेड़ पुराने होने के साथ-साथ अब कई प्रकार के कीड़ों और बीमारियों की चपेट में भी आ रहे हैं। यही कारण है कि शहर लगातार अपनी हरियाली गंवाता जा रहा है लेकिन इस साल चंडीगढ़ प्रशासन ने शहर के पेड़ों को बचाने के लिए इनका उपचार करने का भी फैसला लिया है। इसके लिए फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमैंट ने शैड्यूल तैयार कर लिया है। आने वाले एक साल के दौरान शहर के पेड़ों का उपचार जारी रखा जाएगा ताकि नए पेड़ों को लगाने के साथ-साथ पुराने पेड़ों को भी लंबे समय तक जिंदा रखा जा सके। इसके लिए डिपार्टमैंट ने सभी पेड़ों के नाम उन पर लगने वाले इंसैक्ट या बीमारी के साथ-साथ पेड़ों को बचाने के तरीके भी बताए हैं। डिपार्टमैंट द्वारा पहले ही ऐसे पेड़ों की पहचान करने के लिए एक स्टडी करवा चुका है, जिसमें कीड़े लगे हुए हों या फिर कोई अन्य बीमारी हो। इस स्टडी के आधार पर ही डिपार्टमैंट ने यह उपचार करवाने का फैसला लिया है।
चंडीगढ़ देश का सबसे ग्रीन कवर शहर
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलूर ने इस साल देश की ग्रीनरी पर एक स्टडी करवाई। इससे यह बात सामने आई कि चंडीगढ़ देश का सबसे ग्रीन कवर शहर है। चंडीगढ़ का कुल ग्रीन कवर एरिया 15 प्रतिशत बताया गया है। ग्रीन कवर एरिया की कैल्कुलेशन शहर के वर्ग गज, जनसंख्या और बिल्ट अप एरिया के हिसाब से की जाती है। हालांकि बावजूद इसके प्रशासन शहर के ग्रीन कवर एरिया को बढ़ाने के लिए और भी प्रयास कर रहा है।
मैंटीनैंस और वाटरिंग पर मुख्य फोकस
हर साल प्रशासन द्वारा शहर के विभिन्न एरिया में लाखों पौधे लगाए जाते हैं। लेकिन इनमें से कितने बचते हैं इसका कोई डाटा प्रशासन के पास नहीं है। यही वजह है कि अब डिपार्टमैंट ने अपने ग्रीनिंग एक्शन प्लान में पेड़ों को बचाने को भी ग्रीन कवर एरिया का अहम हिस्सा बताया है। खासकर पौधों को लगाने के बाद उनकी मैंटीनैंस और वाटरिंग के लिए हिदायत दी है। चंडीगढ़ में 6 से 8 महीनों के दौरान बारिश लगभग न के बराबर होती है। इन महीनों में पौधे सबसे अधिक खराब होते हैं।