कांग्रेस ने कहा- किरण का दावा झूठा, जानें पूरा मामला

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Aug, 2017 07:50 PM

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कांग्रेस ने कहा कि सांसद किरण खेर द्वारा रैजीडैंशियल लीज होल्ड प्रॉपर्टी को फ्री होल्ड में बदलने की अनुमति देने संबंधी यू.टी. प्रशासन के फैसले को लेकर किया जा रहा दावा भाजपा की तय पहचान बन चुके शोर-शराबा अभियान से अधिक कुछ नहीं है।

चंडीगढ़, (राय): कांग्रेस ने कहा कि सांसद किरण खेर द्वारा रैजीडैंशियल लीज होल्ड प्रॉपर्टी को फ्री होल्ड में बदलने की अनुमति देने संबंधी यू.टी. प्रशासन के फैसले को लेकर किया जा रहा दावा भाजपा की तय पहचान बन चुके शोर-शराबा अभियान से अधिक कुछ नहीं है। ये सब कुछ लोगों को गुमराह करने से अधिक कुछ नहीं है।

तथ्य यह है कि इस संबंध में एक योजना बीते 21 सालों से पहले ही प्रशासनिक नियमों में मौजूद है। आज यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल और कांग्रेस प्रदेशाध्य्क्ष प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि दी चंडीगढ़ कन्वर्जन ऑफ रैजीडैंशियल लीज-होल्ड लैंड टेनुअर इन्टू फ्री होल्ड लैंड टेनुअर रूल्स, 1996, के संबंध में जारी अधिसूचना को पूर्व सांसद पवन कुमार बंसल खुद एम. अरुणाचलम के ऑफिस से लेकर आए थे, जो तत्कालीन शहरी विकास मंत्री थे।

 बंसल ने इस अधिसूचना की प्रति को खुद तब के प्रशासक के सलाहकार प्रदीप मेहरा को सौंपा था। तब स्थानीय भाजपा नेतृत्व ने तत्कालीन पवन कुमार बंसल को आधिकारिक समारोह में ऐसा करने के लिए आलोचना का शिकार भी बनाया था।

1996 के नियमों के तहत ये योजना 19 जुलाई, 1996 को लागू हुई है और बड़ी संख्या में घरों के मालिकों ने, जिनके पास अपनी संपत्ति थी, ने अपनी लीज होल्ड संपत्ति को बदलकर फ्री होल्ड करवाने के लिए आवेदन किया और ये परिवर्तन हो भी गया था। इन नियमों के तहत 50 वर्ग मीटर तक की संपत्ति की कन्वर्जन फीस शून्य थी और अन्य संपत्तियों के लिए भी कन्वर्जन की दरों को काफी उपयुक्त रखा गया था और ये पूरी प्रक्रिया नियमों के तहत तय की गई थी।

इस योजना के 17 वर्षों के संचालन में होने के बाद 2013 में तब के पंजाब के राज्यपाल और यू.टी. चंडीगढ़ के प्रशासक ने निर्देश दिया कि भविष्य में कन्वर्जन के लिए जमीन की नई दरों को तय किया जाए। इस संबंध में एक निर्णय लंबित था और प्रशासन ने पिछले चार वर्षों के दौरान किसी भी कन्वर्जन को मंजूरी नहीं दी है।

 अब तय किया गया है कि नई जमीन की दर एक सप्ताह के समय में तय की जाएगी। संकेत यह है कि ये अलग-अलग श्रेणी के आवासीय क्षेत्रों के लिए कलैक्टर दर के समान होंगे। इसके परिणामस्वरूप कन्वर्जन फीस बहुत अधिक होगी और उन लोगों के लिए ये काफी महंगा साबित होगा जो कि 2013 तक लीज होल्ड प्रॉपर्टी को फ्री होल्ड में बदलवाने का लाभ नहीं उठा पाए थे।

ऐसे में तथ्य ये है कि दरअसल, किरण खेर, एक बहुत देरी से लिए गए बेहद मामूली फैसले का श्रेय लेने का प्रयास कर रही हैं जबकि उन्हें कई वायदों को अमल में लेकर आना था, जो कि अभी तक अधूरे ही हैं।

इनमें कमर्शियल और इंडस्ट्रीयल प्रॉपर्टी को लीज होल्ड से फ्री होल्ड में कन्वर्ट करवाने का वायदा है, जिसे उन्होंने चुनावों के दौरान और उसके बाद भी बार-बार किया है लेकिन किया कुछ नहीं। दरअसल लोगों को इस वायदे को पूरा किया जाने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

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