GMSH-16 के डाक्टर्स के खिलाफ NHRC में शिकायत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Jul, 2017 12:38 PM

gmsh doctors

सैक्टर-16 के गवर्नमैंट मल्टी स्पैशिएलिटी हॉस्पिटल के डाक्टरों पर 9वीं कक्षा में पढऩे वाली 16 वर्षीय बेटी के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए सैक्टर-38(वैस्ट) के एक दंपति ने नैशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन में शिकायत दायर की है। कमीशन ने शिकायत पर...

चंडीगढ़(विनोद) : सैक्टर-16 के गवर्नमैंट मल्टी स्पैशिएलिटी हॉस्पिटल के डाक्टरों पर 9वीं कक्षा में पढऩे वाली 16 वर्षीय बेटी के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए सैक्टर-38(वैस्ट) के एक दंपति ने नैशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन में शिकायत दायर की है। कमीशन ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए होम सैक्रेटरी व एस.एस.पी. को आदेश जारी किए हैं। 

 

कमीशन ने अपने आदेशों में दोनों को मामले में उचित कार्रवाई करते हुए 4 सप्ताह में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इलाज के दौरान मौत का शिकार हुई रेणु थापा की मां माया देवी, पिता प्रेम थापा व पिपल ऑफ ह्यूमन राइट्स काऊंसिल ने हैल्थ सैक्रेटरी-कम-होम सैक्रेटरी, यू.टी., गवर्नमैंट मल्टी स्पैशिएलिटी हॉस्पिटल, सैक्टर-16, एमरजैंसी मैडीकल ऑफिसर डा. गुरदीप कौर कंग, रेणु थापा का इलाज करने वाले डाक्टर्स व एस.एच.ओ. मलोया तथा सी.एफ.एस.एल. सैक्टर-36 को पार्टी बनाया है। आरोप लगाया गया है कि सही समय पर हॉस्पिटल लाने के बावजूद इलाज में लापरवाही बरते जाने के चलते रेणु की मौत हो गई। वह टीचर बनना चाहती थी और स्पोर्ट्स समेत अन्य गतिविधियों में भी अव्वल थी। 

 

यह मांगें रखी कमीशन के समक्ष :
कमीशन से मांग की गई है कि होम सैक्रेटरी व हॉस्पिटल को निर्देश दिए जाए कि रेणु थापा की मौत के मामले में संबंधित डाक्टर्स के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करें। चिकित्सीय लापरवाही के मामले में अंतरिम रूप से 10 लाख रुपए मुआवजा प्रदान करने के आदेश जारी करें व शिकायत के अंतिम फैसले पर 20 लाख रुपए मुआवजा पीड़ित परिवार को प्रदान किया जाए। 

 

वहीं सी.एफ.एस.एल. को आदेश दिए जाए कि रेणु की मौत को लेकर तय समय सीमा में अनुशासनात्मक कमेटी को अपनी रिपोर्ट पेश करें। वहीं आगामी कार्रवाई की जाए। एस.एच.ओ. मलोया को आदेश दिए जाए कि शिकायतकत्र्ता पक्ष को पर्याप्त सुनवाई का मौका दें। अदालती खर्च के रूप में परिवार को 25 हजार रुपए की राशि प्रदान की जाए। 

 

दो बार हॉस्पिटल से घर भेजा, तीसरी बार चली गई जान :
19 मई, 2016 की शाम को रेणु ने पेट दर्द की शिकायत की थी। उसे तुरंत जी.एम.एस.एच. सैक्टर-16 से लाया गया। एमरजैंसी वार्ड में तैनात ड्यूटी डाक्टर ने उसे चैक किया। रेणु को इंजैक्शन लगा दवाई लिखी गई। डाक्टर की सलाह पर वह रेणु को घर ले आए। उसके बाद आधी रात को 2 बजे रेणु के पेट में फिर से दर्द उठा। परिजन फिर से उसे हॉस्पिटल ले गए जहां डाक्टर ने उसे 2 इंजैक्शन लगाए और थोड़ी देर बाद घर जाने की सलाह दी। 

 

20 मई को दोपहर फिर से रेणु की तबीयत अचानक बिगड़ गई। रेणु को हॉस्पिटल ले जाया गया जहां उसे एमरजैंसी में ले जाया गया। इलाज के दौरान करीब डेढ़ घंटे बाद वहां पुलिस पहुंची और बिना कुछ बताए रेणु के पिता प्रेम थापा से कुछ कागजों पर साइन करवाने लगी। काफी पूछने के बाद बताया गया कि उनकी बेटी की मौत हो गई है। रेणु का पोस्टमार्टम किया गया मगर परिजनों के पूछने पर बताया गया कि मौत का कारण कैमिकल एग्जामिनेशन के बाद ही होगा। 

 

डाक्टर्स कंडीशन नहीं समझे और पुलिस ने डाला पर्दा :
नैशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन में सौंपी शिकायत में परिजनों ने कहा कि समय पर रेणु को हॉस्पिटल ले जाने के बावजूद डाक्टर्स उसकी कंडीशन को समझ नहीं पाए। उसे एडमिट करने की बजाय घर ले जाने की सलाह दी। उसकी हालत गंभीर होने के चलते उसकी जान चली गई। परिजनों ने इसे चिकित्सीय लापरवाही का मामला बताया है। वहीं पुलिस ने भी डाक्टरों के साथ मिल उनके कुकर्म पर पर्दा डालते हुए डेथ रिपोर्ट में मौत का कारण जहर बताया। 

परिजनों को उनकी बेटी का मैडिकल ट्रीटमैंट रिकार्ड नहीं दिखाया गया। जिसके बाद आर.टी.आई. में परिजनों ने यह प्राप्त किया जबकि ट्रीटमैंट कार्ड नहीं दिया गया। मृतका का मैडीकल रिकार्ड गुम होने की बात कहते हुए परिजनों ने कहा कि रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ की गई, ताकि डाक्टर्स का कुकर्म छिपाया जा सके। रेणु की मौत के एक साल बीतने के बाद भी परिजन उसकी मौत का कारण नहीं जान पाए हैं। 

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