PGI में प्राइवेट लैब्स की दुकानदारी, 1000 का टैस्ट 5000 में

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Feb, 2018 09:57 AM

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पी.जी.आई. के प्राइवेट वार्ड मेंं इन दिनों बाहर की लैब्स ने दुकानदारी चला रखी है, जहां 1000 का टैस्ट 5000 में हो रहा है।

चंडीगढ़ (पाल): पी.जी.आई. के प्राइवेट वार्ड मेंं इन दिनों बाहर की लैब्स ने दुकानदारी चला रखी है, जहां 1000 का टैस्ट 5000 में हो रहा है। पता होने के बावजूद पी.जी.आई. सिक्योरिटी और प्रशासन आंखें मूंदे हुए है। रोजाना सरेआम  निजी लैब्स से टैक्नीशियन आकर पी.जी.आई. में एडमिट मरीजों का टैस्ट कर रहे हैं।  

 

स्टाफ की मानें तो पिछले काफी वक्त से नेहरु अस्पताल में बाहर से टैक्नीशियन आकर मरीजों का टैस्ट कर रहे हैं, जिसकी जानकारी प्रशासन को भी है। दिन में ही नहीं, बल्कि रात में भी प्राइवेट टैक्नीशियन वार्ड में जाकर मरीजों के सैंपल ले रहे हैं। इसके साथ ही स्टाफ ने बताया कि कई बार टैस्ट किट खत्म होती है तो ऐसे में डाक्टर्स मरीजों को बाहर से टैस्ट करने के लिए बोल देते हैं। 

 

ऐसे में मरीजों के साथ बाहर से टैस्ट करवाने की सिवाय कोई और विकल्प नहीं होता है। पी.जी.आई. में इस तरह की दखलअंदाजी को रोकने के लिए सिक्योरिटी विभाग के लिए सर्कुलर निकाला जाता है। सूत्रों के मुताबिक कई बार गार्ड्स इन लोगों को रोक या पकड़ भी लेते हैं लेकिन अधिकारियों द्वारा यह कहा जाता है कि आगे की कार्रवाई की जिम्मेदारी भी गार्ड की होगी, जिस कारण मामला दबा दिया जाता है। 

 

कई टैस्ट बाहर से करवाने की सलाह
पी.जी.आई. आने वाले रोजाना 100 मरीजों को इन दिनों एंटी न्यूक्लीयिर एंटीबॉडीज समेत कई टैस्ट के लिए बाहर से करवाने की सलाह दी जा रही है। एंटी न्यूक्लीयिर एंटीबॉडीज (ए.एन.ए.) जिसकी कीमत पी.जी.आई. में 250 रुपए है, वहीं टैस्ट मरीज बाहर से 700 से 1000 रुपए में करवा रहे हैं। 

 

एंटी सी.सी.पी. टैस्ट जिसकी फीस 250 रुपए है, उसे मरीज 1300 से 1600 रुपए में करवाने को मजबूर हैं। आर.ओ.सी.ए. टैस्ट के लिए मरीजों को 3400 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। 

 

एंटी न्यूक्लीयिर एंटीबॉडीज टैस्ट जो कि ऑटो इम्यून डिस्ऑर्डर की जांच करने को किया जाता है, उसकी कीमत पी.जी.आई. में 1 हजार रुपए हैं, लेकिन तीन महीनों से मरीज बाहर से यह टैस्ट करवा रहे हैं और उन्हें 5 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं। 

 

खमियाजा भुगत रहे मरीज
पी.जी.आई. में दवाएं आऊट ऑफ स्टॉक होना या मशीनों का खराब होना नया नहीं है, लेकिन इतने दिनों से अब तक नई किट नहीं पहुंची है। इसका खमियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। कुछ मरीजों को फीस काऊंटर पर ही यह टैस्ट नहीं होने की बात कही जा रही है। 

 

वहीं कुछ स्टाफ टैस्ट की फीस तो काट रहा है, लेकिन जब मरीज टैक्नीशियन के पास टैस्ट के लिए पहुंच रहा है तो किट खत्म होने की बात उससे कही जा रही है। 


 

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