दांतों ने खोला इतिहास के पन्नों का राज, लोगों को मारकर कुएं में दिया था फैंक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Nov, 2017 09:02 AM

the teeth opened the secret of the pages of history

पंजाब के अजनाला गांव की खुदाई में मिली सैंकड़ों खोपडिय़ां, कंकाल, हड्डियां और दांतों का संबंध सिर्फ भारतीय सैनिकों से ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और ईरान के सैनिकों से भी था।

चंडीगढ़ (अर्चना ): पंजाब के अजनाला गांव की खुदाई में मिली सैंकड़ों खोपडिय़ां, कंकाल, हड्डियां और दांतों का संबंध सिर्फ भारतीय सैनिकों से ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और ईरान के सैनिकों से भी था। अमृत्तसर से 30 किलोमीटर स्थित अजनाला के एक कुएं से मिले सैंकड़ों कंकालों को पहले वर्ष 1857 के विद्रोह के साथ जोड़ कर देखा जा रहा था। विद्रोह को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक खोज में यही माना जा रहा था कि विद्रोह के दौरान ब्रिटिश सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को मारकर कुएं में फैंक दिया था। 

 

जबकि पंजाब यूनिवर्सिटी के एंथ्रोपोलॉजी विभाग के फॉरैंसिक एक्सपर्ट के रिसर्च की मानें तो उन हड्डियों का संबंध बहुत से समुदाय से संबंधित लोगों से था। उनमें देश के उत्तर और दक्षिण हिस्से में रहने वाले भारतीय तो थे ही साथ ही पाकिस्तान और ईरान के लोग भी थे। पी.यू. के फॉरैंसिक एक्सपर्ट डॉ.जे.एस.सेहरावत ने कंकालों के दांतों कीडी.एन.ए. प्रोफाइलिंग से किया है। सी.सी.एम.बी. हैदराबाद में मौजूद विभिन्न समुदायों के डी.एन.ए. रिकार्ड के मुताबिक उनके पास पूरे देश के लोगों का डाटाबेस है। 

 

दांतों पर किए गए स्टेबल आईसोटोप टेस्ट बताते हैं कि जिन लोगों के दांत खुदाई में मिले हैं उनमें 90 फीसदी दांतों का संबंध अजनाला से बाहर रहने वाले लोगों का था। 10 प्रतिशत दांत जिनका संबंध अजनाला से जोड़कर देखा जा रहा है उनमें अधिकतर लोग दक्षिण भारतीय रहे होंगे। पी.यू. के फॉरैंसिक एक्सपर्ट डॉ.सेहरावत ने कहा कि आगे की रिसर्च में यह देखा जा रहा है कि जब कंकाल से संबंधित लोगों का कत्ल या मौत हुई तब सटीक समय क्या था। उन लोगों की मौत कैसे हुई? 


 

ऐसे की रिसर्च
डॉ.सेहरावत ने बताया कि अजनाला की खुदाई में 8500 दांत, 5400 हड्डियां, कई खोपडिय़ां मिली थी। खोपडिय़ों और हड्डियों की स्थिति बुरी तरह से बिगड़ चुकी थी, परंतु दांत बिल्कुल ठीक थे। दांतों के डी.एन.ए. प्रोफाइलिंग और स्टेबल आईसोटोप के जरिए पता चल गया कि उनका संबंध 1857 के विद्रोह के साथ था। एक शोधकर्ता के अध्ययन ने भी बताया था कि तत्कालीन कमिश्नर ने बहुत से भारतीयों को मरवाया था, किताब ने कहा था कि वहां 282 लोगों के कंकाल थे, जबकि डी.एन.ए. प्रोफाइलिंग ने साबित किया कि कुएं में सिर्फ 246 लोगों को ही फैंका गया था। खुदाई में मिले सिक्कों पर वर्ष 1853, 1856 लिखा हुआ था और साथ ही क्वीन विक्टोरिया का चित्र भी मिला है। 


 

एक दांत के डी.एन.ए. प्रोफाइल पर आता है 70 हजार खर्च
फॉरैंसिक रिसर्च में पंजाब सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता ना मिलने पर नैशनल व इंटरनैशनल रिसर्च लैबोरेट्री की मदद से शोध किया गया। डॉ.सेहरावत ने कहा कि एक दांत के डी.एन.ए. प्रोफाइलिंग पर 70 हजार रुपए का खर्च आता है। प्रोफाइलिंग बता देती है कि जिस व्यक्ति का दांत है उसका जन्म कब हुआ, उसने मां का दूध कितने समय तक पीया, वह जीवन पर्यन्त शाकाहार रहा या नहीं, मौत से पहले व्यक्ति किस किस जगह कहां कहां गया था? फॉरैंसिक ओडोंटोलॉजी ने यह भी बताया है कि अजनाला में मिले कंकाल पुरुषों के थे। कुछ दांतों के ऊपर काले और भूरे रंग के निशान बताते हैं कि कुछ लोग तंबाकू, सुपारी, पान मसाला और सिगरेट का सेवन भी किया करते थे। दांतों पर मिले निशान लोगों के बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश से संबंध को भी दर्शाते हैं। खोपडिय़ों पर मिले घाव कहते हैं कि लोगों के सिर पर जोर से वार किए गए थे।  

 

दांत सालों-साल क्षतिग्रस्त होने के बाद भी ठीक रहता है
दांत शरीर का ऐसा हिस्सा है जो सालो-साल क्षतिग्रस्त होने के बाद भी ठीक रहता है। अजनाला की खुदाई से निकले सैंकड़ों कंकालों से सालों पुराने इतिहास के साक्ष्य दिए हैं। अत्याधुनिक पुरातत्व तकनीकों के दम पर खुदाई का काम सुरक्षित तरीके से किया जा सकता है, परंतु खुदाई से संबंधित कंकालों की पहचान डी.एन.ए. और फॉरैंसिक तकनीकों से ही संभव है।  -प्रो.हरीश दासारी, हैड, फॉरैंसिंक डिपार्टमैंट, जी.एम.सी.एच.-32


 

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