प्रेमी जोड़ों का मैरिज हब बना ट्राईसिटी

Edited By ,Updated: 30 Jun, 2016 03:47 AM

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घरवालों की मर्जी के खिलाफ जाकर विवाह करने के लिए भागे प्रेमी जोड़ों के लिए ट्राईसिटी मैरिज हब बन रहा है। हरियाणा व पंजाब के दूरदराज क्षेत्रों से प्रेमी जोड़े शादी और शादी के बाद प्रोटैक्शन के लिए ट्राईसिटी को प्राथमिकता दे रहे हैं।

 चंडीगढ़, (विवेक): घरवालों की मर्जी के खिलाफ जाकर विवाह करने के लिए भागे प्रेमी जोड़ों के लिए ट्राईसिटी मैरिज हब बन रहा है। हरियाणा व पंजाब के दूरदराज क्षेत्रों से प्रेमी जोड़े शादी और शादी के बाद प्रोटैक्शन के लिए ट्राईसिटी को प्राथमिकता दे रहे हैं। इनकी शादी और प्रोटैक्शन तक का पूरा पैकेज मुहैया करवा वकील मोटी कमाई कर रहे हैं। वकील लगातार पंडितों और पाठियों के संपर्क में रहते हैं जोड़ों के धर्म के मुताबिक उन्हें मैरिज पैकेज उपलब्ध करवाते हैं। खास बात यह है कि हरियाणा पंजाब के दूरदराज क्षेत्रों के प्रेमी जोड़ों को राहत देने के लिए उन्हें प्रोटैक्शन देने का अधिकार हाईकोर्ट ने सैशन कोर्ट को दे दिया था, बावजूद इसके प्रेमी जोड़ों को निचली अदालतों की अपेक्षा हाईकोर्ट पर भरोसा ज्यादा नजर आ रहा है।

हाईकोर्ट में छुट्टियां हैं और इसी बीच वोकेशन बैंच के सामने आने वाले मामलों में ज्यादातर केस मैरिज प्रोटैक्शन से जुड़े हैं। हाईकोर्ट में लगातार बढ़ते ऐसे मामलों के चलते यह हाईकोर्ट कम और मैरिज रजिस्ट्रेशन का ऑफिस ज्यादा नजर आ रहा है। चंडीगढ़ के कई मंदिरों के पुजारी व अन्य धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, जो प्रेमी जोड़ों का विवाह करवाते हैं, हाईकोर्ट के वकीलों के संपर्क में रहते हैं। जब कोई जोड़ा सुरक्षा के लिए आता है तो वकील उनका विवाह करवाने के लिए उस पंडित की सेवा लेता है। कुछ पंडित तो वकीलों से इस बाबत नियमित एस.एम.एस. या व्हाटसऐप भी करते रहे हैं। हाईकोर्ट के कई वकील ऐसे युवक व युवतियों के लिए मैरिज पैकेज भी उपलब्ध करवाते हैं।

पैकेज में खास क्या

वकील की फीस, कोर्ट फीस, मंदिर के पुजारी की फीस के साथ अन्य खर्च शामिल होते हैं। आमतौर पर यह पैकेज 20 हजार से 1 लाख रुपए तक का होता है। इसके अलावा कई अन्य वकील मैरिज के लिए 5 हजार से 20 हजार तक की फीस भी है। साथ ही जब तक केस नहीं लगता तब तक इनके ठहरने के लिए जगह भी मुहैया करवाई जाती है।

90 प्रतिशत बेरोजगार

हाईकोर्ट में सुरक्षा की मांग करने वाले आधे से ज्यादा प्रेमी जोड़े बेरोजगार मिलते हैं। उनकी आय का कोई साधन नहीं है और घरवालों पर ही निर्भर होते हैं। ये युवक व युवती कालेज में पढ़ाई के दौरान प्यार में पड़ जाने के बाद परिवार वालों की मर्जी के खिलाफ विवाह कर लेते हैं और सुरक्षा के लिए लिए हाईकोर्ट पहुंच जाते है।

विवाह के व्यवसायीकरण करने पर हाईकोर्ट की नजर

नियमित तौर पर हाईकोर्ट प्रेमी जोड़ों की विवाह की फोटो देखकर सुरक्षा दे देता है, कुछ मामले तो ऐसे होते हैं कि कोर्ट में आने वाले प्रेमी जोड़ों का विवाह करवाने वाला एक ही पुजारी होता है। ऐसे केसों पर कड़ा रुख अपनाते हुए कोर्ट ने विवाह करवाने वाले धार्मिक संस्थानों पर अंगुली उठाते चंडीगढ़ के एस.एस.पी. को धार्मिक संस्थानों को विवाह करवाने के तरीके और क्या वे इसके लिए अधिकृत हैं, की जांच करने व विवाह के प्रमाण पत्र जारी करने के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने का आदेश भी दिया था। इसके बाद भी स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं हुआ। पुजारियों ने मैरिज के लिए पंडितों को रखा है और साथ ही अलग-अलग मैरिज स्टेज भी ऑर्डर कर मंगवाए जाते हैं, ताकि मैरिज की फोटो कोर्ट में पेश करते हुए एक ही पंडित या एक ही स्टेज नजर न आए।

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