Edited By ,Updated: 01 Dec, 2016 01:04 PM
ज्योतिष और वास्तु का आपस में घनिष्ठ संबंध है। शास्त्रों में मनुष्य के लिए आवश्यक आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान बताया गया है जिसे मनुष्य अपने सुख के लिए जल्दी से जल्दी प्राप्त
ज्योतिष और वास्तु का आपस में घनिष्ठ संबंध है। शास्त्रों में मनुष्य के लिए आवश्यक आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान बताया गया है जिसे मनुष्य अपने सुख के लिए जल्दी से जल्दी प्राप्त करना चाहता है। इस विषय में कई बार ऐसी चूक भी हो जाती है जो उसे जीवन भर दुख देती है।
भवन के निर्माण में सबसे पहले भूमि की शुद्धता, उसका सुख, भूमि का शयन, भूमि के प्रकार तथा जल, अग्रि, वायु, आकाश सब देखे जाते हैं लेकिन मनुष्य लोभवश वास्तु के नियम उपनियमों को भूल जाता है। जिस कारण उसकी समझ में कष्टों का निवारण नहीं आता। वास्तु के निर्माता विश्वकर्मा ने अपने ‘वास्तु प्रकाश’ में अनेक बातें दर्शाई हैं जिनसे वास्तु दोष निवारण हो और आपका जीवन सुखमय रहे-
- पूजा करते समय मुख उत्तर-पूर्व या उत्तर-पश्चिम की ओर करके बैठें।
- भोजन ग्रहण करें तो थाली दक्षिण-पूर्व की ओर रखें और पूर्वाभिमुख होकर भोजन करें।
- पानी पिते समय अपना मुख उत्तर-पूर्व की ओर रखें।
- घर में कोई पूजास्थल है तो उसे उत्तर-पूर्व (ईशान) कोण में रखें।
- सम्यक उन्नति के लिए लक्ष्मी, गणेश, कुबेर, स्वास्तिक, ॐ, मीन आदि मांगलिक चिन्ह मुख्य द्वार के ऊपर स्थापित करें।
- दक्षिण-पश्चिम कोण में दक्षिण की ओर सिरहाना करके सोने से नींद गहरी और अच्छी आती है।
- दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम कोण में कुआं या ट्यूबवैल है तो उसे भरवा कर उत्तर-पूर्व कोण में ट्यूबवैल या कुआं खुदवाएं, अन्य दिशा में कुएं भरवा न सकें तो उसे प्रयोग में लाना बंद कर दें अथवा उत्तर-पूर्व में एक ओर ट्यूबवैल या कुआं लगवाएं जिससे वास्तु का संतुलन हो सके।
- बीम का दोष शांत करने के लिए इसे सीलिंग टॉयल्स से ढंक दें। बीम के दोनों ओर बांस की बांसुरी लगाएं।
- द्वार दोष और वेध दोष को दूर करने के लिए शंख, सीप, समुद्री झाग, कौड़ी लाल कपड़े में या मौली में दरवाजे पर लटकाएं।
- घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर करने के लिए मुख्य द्वार पर एक ओर केले का वृक्ष, दूसरी ओर तुलसी का पौधा गमले में लगाएं।