अहंकार सभी गुणों का नाश कर देता है: श्री कृष्ण विज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Mar, 2018 12:18 PM

ego destroys all the qualities

जालंधर, (पांडे): श्री राम शरणम आश्रम 17 लिंक रोड द्वारा साईंदास स्कूल ग्राऊंड में आयोजित रामायण ज्ञान यज्ञ के 7वें दिन स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित रामायण की चौपाइयों का पाठ श्रीमती रेखा विज द्वारा किया गया। इस दौरान लंका कांड की गाई गई चौपाइयों...

जालंधर, (पांडे): श्री राम शरणम आश्रम 17 लिंक रोड द्वारा साईंदास स्कूल ग्राऊंड में आयोजित रामायण ज्ञान यज्ञ के 7वें दिन स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित रामायण की चौपाइयों का पाठ श्रीमती रेखा विज द्वारा किया गया। इस दौरान लंका कांड की गाई गई चौपाइयों की व्यख्या करते हुए श्री कृष्ण विज ने कहा कि जब श्री राम अंगद को दूत बना कर रावण के पास भेजते हैं तो रावण अंगद का अपमान कर उसे वापस भेज देते हैं। इसके  बाद रावण श्री राम से युद्ध के लिए अपने बलवान राक्षसों को भेजता है। जब राम जी की सेना उक्त राक्षसों को मार देती है तो रावण 6 माह से सो रहे अपने भाई कुम्भ को जगाता है कि भाई अपनी इज्जत दाव पर लग गई है हमारे शूरवीर राक्षसों की सेना को राम की सेना ने पछाड़ दिया और हमारे नामी शूरवीर मारे गए तब कुम्भकरण उठा  तथा बोला- भाई रावण पहले तो गल्त कार्य करते हो समझाने पर नहीं मानते हो लेकिन मैं तो भाई हूं मुझे पीठ नहीं दिखानी है। यह कह कर कुम्भकर्ण युद्ध को चल देता है । युद्ध में कुम्भकर्ण मारा जाता है। इसकी सूचना मिलते ही लंका में शोक व्याप्त हो जाता है उपरान्त रावण मेघनाद को भेजता है।  कुंभकर्ण तथा मेघनाद शब्द की व्याख्या करते हुए श्री कृष्ण विज जी ने कहा कि आलस को कुम्भकर्ण कहा गया है तथा मेघनाद छल कपट को कहा गया है। उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन में आलस और छल-कपट का त्याग करना चाहिए ताकि हम सिमरन कर सके। 


उन्होंने कहा कि छल- कपट का महारथी मेघनाथ युद्ध को जीतने के लिए मिले वरदान के तहत निर्जन स्थान पर जा कर अपने ईस्ट देव की पूजा करना शुरू कर देता है। तभी विभीषण ने राम जी को बताया कि अगर मेघनाद की पूजा पूर्ण हो गई तो उसे वरदान है कि उसे कोई  मार नहीं पाएगा। यह सुन कर लक्ष्मण पूजा में लीन मेघनाद के पास पहुंचता है व उसे  ललकारता है। इस पर मेघनाद अपनी पूजा बीच में छोड़ कर बाहर आ जाता है और युद्ध करता है युद्ध करते-करते लक्ष्मण को बाण लग जाता है और लक्ष्मण धरती पर गिर जाता है। कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए श्री कृष्ण विज जी ने कहा कि राम का आदेश पाकर हनुमान जी सुषेण  वैद को उठा कर ले आते हैं । वैद द्वारा बताई गई जड़ी-बूटी लेने के लिए पर्वत पर भेजते हैं।  बूटी को पहचान नहीं पाने पर हनुमान जी पूरा पर्वत उठा कर ले आते हैं। सुषेण वैद बूटी द्वारा मूर्छित लक्ष्मण को ठीक कर देते हैं। ठीक होने के उपरान्त लक्ष्मण जी फिर युद्ध करना शुरू कर देते हैं। घमासान युद्ध होता है। तब श्री राम जी अगस्त जी द्वारा दिए गए शस्त्रों से रावण का वध कर देते हैं। चारों तरफ जै-जै कार गूंजने लगता है। अहंकार सभी गुणों का नाश कर देता है। कथा कथा को विश्राम सर्वशक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नम: से दिया गया। आज की सभा में विशेष रूप से गायक हंस राज हंस तथा दीवान अमित अरोड़ा सहित हजारों की तादाद में साधक शामिल हुए। 

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