मनरेगा के तहत बकाया राशि शीघ्र जारी करे केंद्र : वीरभद्र

Edited By ,Updated: 11 Feb, 2015 11:15 PM

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मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने केन्द्र सरकार से वर्ष 2014-15 के लिए मनरेगा के तहत हिमाचल प्रदेश को स्वीकृत धनराशि शीघ्र जारी करने का आग्रह किया।

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने केन्द्र सरकार से वर्ष 2014-15 के लिए मनरेगा के तहत हिमाचल प्रदेश को स्वीकृत धनराशि शीघ्र जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उक्त राशि न मिलने से मनरेगा के प्रभावी क्रियान्वयन और रोजगार के इच्छुक व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाने में दिक्कत आ रही है।

 

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश को धनराशि उपलब्ध न होने पर अपनी चिंता जताई। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस बारे संबंधित मंत्रालय को शीघ्र आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि केन्द्र सरकार ने मनरेगा के अंतर्गत वर्ष 2014-15 में राज्य के लिए 761.71 करोड़ रुपए का लेबर बजट स्वीकृत किया है जिसमें 670.71 करोड़ रुपए केन्द्रीय हिस्सा है। प्रदेश को वर्तमान वित्त वर्ष में 740.58 करोड़ रुपए की आवश्यकता है परन्तु केन्द्र सरकार ने अभी तक केवल 355.43 करोड़ रुपए ही जारी किए हैं।

 

वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार मनरेगा को प्रभावी तरीके से लागू कर रही है तथा योजना के अंतर्गत गत वित्त वर्ष के दौरान प्रदेश में 571.22 करोड़ रुपए व्यय कर 282.47 लाख कार्य दिवस सृजित किए गए जबकि लेबर बजट में 273.19 लाख कार्य दिवस स्वीकृत थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गत वित्त वर्ष के दौरान केन्द्र सरकार द्वारा योजना के अंतर्गत पर्याप्त धनराधि उपलब्ध करवाई गई जिससे लेबर बजट प्रोजैक्शन में प्रदेश ने 103 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल की। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय वर्तमान वित्त वर्ष के लिए 276.80 लाख कार्य दिवसों के लेबर बजट प्रोजैक्शन की स्वीकृति दी है।

 

वीरभद्र सिंह ने कहा कि संबंधित मंत्रालय के 18 व 19 सितम्बर, 2014 को आयोजित प्रदर्शन समीक्षा समिति की बैठक के दौरान संशोधित धनराशि आबंटन के अनुसार प्रदेश को मिलने वाले केन्द्रीय हिस्से में कटौती कर इसे केवल 355.43 करोड़ रुपए कर दिया गया जो चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्वीकृत लेबर बजट के अनुसार मनरेगा का क्रियान्वयन पहले ही आरम्भ किया जा चुका है तथा केन्द्रीय आबंटन में की गई कटौती से प्रदेश में योजना का क्रियान्वयन प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि धनराशि की कमी से अधिनियम के अनिवार्य कानूनी प्रावधानों की अनुपालना में भी कठिनाई आएगी।

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