बजट सत्र : बेरोजगारों को नहीं मिला मासिक भत्ता : धूमल

Edited By ,Updated: 11 Mar, 2015 09:04 PM

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बजट सत्र के पहले दिन विपक्ष के नेता प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने राज्य सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं है और राज्य की कानून व्यवस्था लगातार खराब होती जा रही है।

शिमला: बजट सत्र के पहले दिन विपक्ष के नेता प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने राज्य सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं है और राज्य की कानून व्यवस्था लगातार खराब होती जा रही है। कांग्रेस के शासन में प्रदेश के लोगों की जान-माल सुरक्षित नहीं हैं।

पत्रकारों से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि महामहिम राज्यपाल द्वारा अभिभाषण के जो अंश पढ़े गए हैं, उसमें सरकार ने दावा किया है कि चुनाव घोषणा पत्र के हर वायदे को पूरा कर दिया गया है लेकिन असलियत में ऐसा कुछ नहीं हुआ है। कांग्रेस ने प्रदेश के हरेक बेरोजगार को हर माह 1000 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने का प्रमुख वायदा किया था लेकिन सवा 2 साल बाद भी बेरोजगारों को मासिक भत्ता नहीं मिल पाया है। इस सरकार की जवाबदेही जनता के प्रति बिल्कुल नहीं और जहां तक पारदर्शिता की बात है, मंत्रिमंडल के फैसले तक सप्ताह के अंतराल में पलटे जा रहे हैं।

प्रो. धूमल ने धर्मशाला में मंत्रिमंडल की बैठक में शराब के ठेकों की खुली नीलामी के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर सरकार की क्या मजबूरी रही कि उसे एक सप्ताह में ही अपने फैसले को बदलना पड़ा। मंत्रिमंडल के निर्णय के तहत शराब का कोटा नहीं बढ़ेगा, जिससे बाहरी राज्यों से शराब की तस्करी होने की पूरी संभावना है। सरकार का यह निर्णय आबकारी एवं कराधान विभाग की कारगुजारी पर प्रश्रचिन्ह लगाता है।

प्रो. धूमल ने कहा कि आज प्रदेश में शराब, वन, भू और खनन माफिया बिना रुकावट खुलकर खेल रहा है। राज्य में अपराधों का खूब इजाफा हो रहा है और अपराधियों को पुलिस पकड़ नहीं पा रही है। उन्होंने कहा कि ई-विधान से 6000 पेड़ कटने से बचेंगे लेकिन प्रदेश में हर रोज हजारों पेड़ कट रहे हैं और सरकार खामोश बनी हुई है। उन्होंने कहा कि राजधानी शिमला सहित वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी के अपने चुनाव हलके में अवैध कटान होने के मामले आए दिन उजागर हो रहे हैं।

विपक्ष के नेता प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि 29 जनवरी को भाजपा मुख्यालय पर युवा कांग्रेस द्वारा किए गए हमले की जांच सीबीआई से होनी चाहिए। इस विषय पर पूर्व में महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया था और इस विषय पर पुन: राज्यपाल से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि एडीएम इस मामले में क्या जांच करेगा, जब जांच पूरी होने से पहले ही मुख्यमंत्री हमले के दोषियों को क्लीन चिट दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नहीं है।

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