Edited By ,Updated: 07 Apr, 2015 11:48 PM
हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) पर शिकंजा कसने के लिए मंगलवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश खेल (संगमों का रजिस्ट्रीकरण, मान्यता और विनियमन) विधेयक 2015 प्रस्तुत किया।
शिमला: हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) पर शिकंजा कसने के लिए मंगलवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश खेल (संगमों का रजिस्ट्रीकरण, मान्यता और विनियमन) विधेयक 2015 प्रस्तुत किया। इस विधेयक को बुधवार को विधानसभा से पारित किए जाने की संभावना है। इसके बाद एचपीसीए सहित 42 खेल संगठन इसके दायरे में आ जाएंगे।
इससे पूर्व राज्य सरकार वर्ष 2005 में 10 साल पहले खेल विधेयक ला चुकी है लेकिन इसे बाद में एचपीसीए की तरफ से न्यायालय में चुनौती दी गई थी। विवाद से बचने के लिए राज्य सरकार ने राजस्थान की तर्ज पर खेल विधेयक का प्रारूप तैयार किया है। इसके तहत राज्य में हर खेल संघ के चुनाव राज्य खेल परिषद की ओर से तैनात पर्यवेक्षक की देखरेख में होंगे। इन चुनावों के बाद ही सर्र्टीफिकेट जारी किया जाएगा। इसी आधार पर भविष्य में राज्य में खेल संघों के चुनाव होंगे और पंजीकरण किया जाएगा।
खेल संघों के चुनावों में मतदान के नियमों को भी बदला गया है। संघों के चुनावों में वोटिंग का अधिकार भी स्थायी हिमाचली लोगों के लिए आरक्षित किया है। वोटिंग के लिए खेल के बारे में जानकारी होना जरूरी है। यदि किसी व्यक्ति पर कोई आरोप साबित हो गया हो, दिवालिया हो या खेल में भाग लेने के लिए निर्हित घोषित किया गया हो, ऐसे लोगों को चुनावों में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं होगा।