हॉकी खिलाड़ियों को ट्रेन के फर्श पर बैठ करनी पड़ी यात्रा

Edited By ,Updated: 30 Aug, 2016 12:26 PM

women hockey team

खेलों के इस जुनूनी देश में खिलाड़ियों की सफलता पर जहां उन्हें सिर माथे बिठा लिया जाता है वहीं नाकामी होने पर उन्हें अर्श से ‘फर्श’ पर लाने में भी देर नहीं होती।

नई दिल्ली: खेलों के इस जुनूनी देश में खिलाड़ियों की सफलता पर जहां उन्हें सिर माथे बिठा लिया जाता है वहीं नाकामी होने पर उन्हें अर्श से ‘फर्श’ पर लाने में भी देर नहीं होती। 36 वर्षों बाद ओलिम्पिक के लिए क्वालीफाई करने वाली महिला हॉकी टीम की कुछ खिलाडिय़ों को भी कुछ ऐसे ही अनुभव से गुजरना पड़ा जब रियो ओलिम्पिक की असफलता के बाद उन्हें अपनी पहचान के लिए जूझना पड़ा और घर लौटते समय ट्रेन के फर्श पर बैठकर यात्रा करनी पड़ी।

रियो ओलिम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली 4 महिला हॉकी खिलाड़ी नमिता टोप्पो, दीप ग्रेस इक्का, लिलिमा मिंज तथा सुनीता लाकड़ा जब घर लौटते समय रांची से राउरकेला जा रही धनबाद-एल्लेपे एक्सप्रैस से यात्रा कर रही थीं तब उन्हें बैठने के लिए एक भी सीट नसीब नहीं हुई। उन्हें टी.टी. से आग्रह करने के बावजूद ट्रेन की फर्श पर बैठकर यात्रा करनी पड़ी।

महिला हॉकी टीम को ट्रेन के फर्श पर बिठाने की खबर झूठी
रेलवे ने कहा कि उन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है जिनमें कहा गया था कि भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाडिय़ों को रियो ओलिम्पिक से लौटने के बाद रांची से राऊरकेला लौटते समय रेलगाड़ी के फर्श पर बैठने के लिए मजबूर किया गया।

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