Edited By ,Updated: 09 Apr, 2017 04:44 PM
कूटनीतिक मोर्चे पर भारत-चीन के बीच भले ही प्रतिद्वन्दिता हो लेकिन जब बात चीन को मदद पहुंचाने की आती है तो भारत एक कदम आगे बढ़कर अपना रोल निभाता है...
बीजिंगः कूटनीतिक मोर्चे पर भारत-चीन के बीच भले ही प्रतिद्वन्दिता हो लेकिन जब बात चीन को मदद पहुंचाने की आती है तो भारत एक कदम आगे बढ़कर अपना रोल निभाता है। यमन और सोमालिया के बीच स्थित अदन की खाडी में ऐसा ही देखने को मिला। अदन की खाडी में 21 हजार टन की क्षमता के एक कार्गो शिप समुद्री लुटेरों ने धावा बोल दिया था। इस कार्गो शिप ने जब मदद के लिए इमरजेंसी सिग्नल भेजा तो सबसे पहले इंडियन नेवी के युद्धपोत INS मुंबई और INS तरकश ने प्रतिक्रिया दी और तुरंत मदद के लिए पहुंच गए। जिस कार्गो शिप को समुद्री लुटेरे हाईजैक करना चाहते थे वह मलेशिया से अदन की खाडी आ रहा था।
जैसे ही भारतीय युद्धपोत इस हमले की जानकारी मिली इंडियन नेवी ने तुरंत उस कार्गो शिप के ऊपर अपने हेलिकॉप्टर को भेज दिया। ये हेलिकॉप्टर रात भर समुद्री लुटेरों के कब्जे में आए शिप की परिक्रमा करता रहा ताकि इसे लुटेरे किसी अज्ञात जगह पर न ले जा सके। सुबह होने पर सबसे पहले इंडियन नेवी ने ही जहाज के ऊपरी तल को लुटेरों के कब्जे से मुक्त कराया। तब तक चीनी नेवी भी वहां पहुंच चकु थी, चीनी नेवी को जहाज के अंदर जाकर उसे लुटेरों के कब्जे से मुक्त कराना था लिहाजा बाहर भारतीय नेवी की तैनाती अहम थी।
भारत ने अपने इस रोल को पूरे प्रोफेशनल अंदाज में पूरा किया। भारत की मदद की वजह से ही चीनी सेना जहाज को लुटेरों के कब्जे से आजाद करा सकी। बाद में चीनी नेवी ने समुद्री लुटेरों के खिलाफ भारत के इस सहयोग की तारीफ की और भारत को धन्यवाद दिया। दोनों देशों की नौसेना के सहयोग से कार्गो शिप में सवार जहाज के 19 क्रू मेंबर को सकुशल छुड़ा लिया गया है। ये सारे क्रू मेंबर फिलीपींस के रहने वाले हैं। अदन की खाड़ी में पिछले कुछ सालों से समुद्री लुटेरों के हौसले बढ़ गये हैं। अदन की खाड़ी समुद्री व्यापार का एक अहम मार्ग है। भारत ने भी अपने कार्गो शिप की सुरक्षित आवाजाही के लिए यहां अपने कई युद्धपोत तैयार कर रखे हैं। इनमें आईएनएस मुंबई और INS तरकश प्रमुख हैं।