Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Feb, 2018 04:58 PM
ऑस्ट्रेलिया की मर्डोक यूनिवर्सिटी एवं इटली की यूनिवर्सिटी ऑफ सीना के शोधकर्ताओं ने कहा कि अतिसूक्ष्म प्लास्टिक के कण समुद्री जीवों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं क्योंकि इनमें जहरीले रसायन होते हैं।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हमारे समुद्र में...
सिडनीः ऑस्ट्रेलिया की मर्डोक यूनिवर्सिटी एवं इटली की यूनिवर्सिटी ऑफ सीना के शोधकर्ताओं ने कहा कि अतिसूक्ष्म प्लास्टिक के कण समुद्री जीवों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं क्योंकि इनमें जहरीले रसायन होते हैं।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हमारे समुद्र में विशेषकर बंगाल की खाड़ी जैसे प्रदूषित स्थलों में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक से ‘मंता रे’ एवं व्हेल, शार्क जैसी विशालकाय समुद्री जीवों के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
‘ट्रेंड्स इन इकोलॉजी एंड इवॉल्युशन’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार प्लास्टिक से संबद्ध रसायन एवं प्रदूषक उनमें दशकों तक जमा रह सकते हैं और इससे इन जीवों की जैविक प्रक्रियाओं में परिवर्तन भी हो सकता है जिससे इनकी वृद्धि, विकास एवं प्रजनन दर में कमी समेत प्रजनन की क्रिया में परिवर्तन देखा जा सकता है।
र्डोक यूनिवर्सिटी में पीएचडी की छात्र एलित्जा जर्मनोव ने कहा कि अतिसूक्ष्म प्लास्टिक के ग्रहण एवं जहरीले पदार्थ तक जलीय जीवों की पहुंच के बीच निश्चित संबंध की पुष्टि होती रहती है। समुद्री पक्षियों एवं छोटी मछलियों में इसमें संबंध भी देखा गया है । ये मछलियां दूषित जल से सीधे सीधे या दूषित शिकार से अप्रत्यक्ष रूप में सूक्ष्म प्लास्टिक को ग्रहण कर सकती हैं।अतिसूक्ष्म प्लास्टिक से प्रदूषित प्रमुख स्थलों में मेक्सिको की खाड़ी, भूमध्यसागर, बंगाल की खाड़ी और इंडोनेशिया समेत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का समुद्री क्षेत्र ‘कोरल ट्र्रैंगल’ शामिल है।