नाउरू शरणार्थियों का अमरीका में बसने से इंकार

Edited By ,Updated: 29 Nov, 2016 04:01 PM

nauru refugees refuse to be resettled in us

ऑस्ट्रेलिया के नाउरू में बसे शर्णार्थियों ने अमरीका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमरीका में बसने से साफ इंकार कर दिया है...

सिडनीः ऑस्ट्रेलिया के नाउरू में बसे शर्णार्थियों ने अमरीका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमरीका में बसने से साफ इंकार कर दिया है। शिन्हुआ न्यूज के मुताबिक अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों की पहल पर कुछ शर्णार्थी अमरीका जाने पर सहमत हो गए हैं, जबकि कई अन्य लोग ने इस मु्द्दे पर रजामंद नहीं हैं। 

इस योजना के अनुसार ऑस्ट्रेलिया के दूरस्थ नाउरू और मानुस द्वीप पर बसे कुछ शर्णार्थियों को अमरीका में बसाए की योजना थी। एक समाचार चैनल के मुताबिक नाउरू पर विशेषकर मुस्लिम शर्णाथियों में अमरीका जाने को लेकर कोई खासी दिलचस्पी नहीं थी। म्यांमार में सताए गए रोहिंग्या अल्पसंख्यक समूह के सदस्य अजीज खान कहते हैं कि नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने देश में मुस्लमानों को प्रवासी के रूप में पसंद नहीं करेंगे। 

बता दें कि 31 अक्टूबर तक इराक, सीरिया और सोमालिया के संघर्ष क्षेत्रों से आए पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित मानुस द्वीप, पापुआ न्यू गिनी में 872 प्रवासी थे, इसके अलावा प्रशांत महासागर में नाउरू द्वीप पर 390 शर्णाथी थे। ऑस्ट्रेलिया 2012 के बाद से मानुस और नाउरू केन्द्रों का उपयोग कर रहा था। बजाय उन्हें स्वीकार करने के वे फिर से उन्हें तीसरे देशों में बसाने की योजना बना रहे थे।

2013 के मध्य में ऑस्ट्रेलिया ने एक कानून पारित किया। इस कानून के अनुसार किसी शर्णार्थी को ऑस्ट्रेलिया की सीमा पर स्थानांतरित नहीं किया जा सकता था। 2014 में, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में इन शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए ऑस्ट्रेलिया ने कंबोडिया के साथ मिलकर विवादास्पद करोड़ों डॉलर के सौदे पर समझौता किया।
 
 

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