Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Oct, 2017 02:38 PM
अमरीका ने रोहिंग्या हिंसा पर म्यांमार पर गाज गिराते म्यांमार सेना के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। अमरीकी राष्ट्रपति ने म्यामांर की उन ईकाइयों और अधिकारियों को दी जा रही सैन्य सहायता वापस लेने का ऐलान किया है, जो रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा...
वॉशिंगटनः अमरीका ने रोहिंग्या हिंसा पर म्यांमार पर गाज गिराते म्यांमार सेना के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। अमरीकी राष्ट्रपति ने म्यामांर की उन ईकाइयों और अधिकारियों को दी जा रही सैन्य सहायता वापस लेने का ऐलान किया है, जो रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा में शामिल थे। इस हिंसा की वजह से बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ कर जाना पड़ा है।
ट्रंप सरकार ने 25 अगस्त के बाद से हिंसाग्रस्त रखाइन राज्य को प्रत्यक्ष मदद देने एवं जीवन-रक्षक आपात सहायता के लिये 2 दिन पहले ही करीब 4 करोड़ डॉलर की मदद देने की घोषणा की थी। इसके अलावा भी अमरीका म्यांमार को मदद दे रहा है। इससे पहले ट्रंप प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा था कि अमरीका चाहता है कि म्यांमार रोहिंग्या मुसलमानों की वापसी के लिए शर्तें निर्धारित करे। अमरीका का मानना है कि कुछ लोग इस मानवीय विपत्ति का इस्तेमाल धार्मिक आधार पर नफरत को बढ़ावा देने और फिर हिंसा के लिए कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि म्यांमार के रखाइन राज्य में सेना ने उग्रवादियों के खिलाफ अगस्त के आखिर में कार्रवाई शुरू की, जिसके बाद हिंसा से बचने के लिए करीब 600,000 अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश चले गए। म्यांमार जातीय समूह के रूप में रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान स्वीकार नहीं करता। उसका कहना है कि वे देश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी प्रवासी हैं।