एक लालू जेल जाएगा तो एक लाख लालू पैदा होंगे—लालू

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Dec, 2017 04:57 PM

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बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है और अब सस्पेंस खत्म हुआ, लालू अपना नया साल जेल में ही मनाएंगे। कोर्ट का फैसला सुनते ही लालू ने कहा- ये क्या हुआ? इस मामले में लालू की 1990 की अर्जित संपत्ति भी अटैच की जाएगी। सुनवाई...

नेशनल डेस्क: बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है और अब सस्पेंस खत्म हुआ, लालू अपना नया साल जेल में ही मनाएंगे। कोर्ट का फैसला सुनते ही लालू ने कहा- ये क्या हुआ? इस मामले में लालू की 1990 की अर्जित संपत्ति भी अटैच की जाएगी। सुनवाई शुरू होने से पहले लालू ने कार्यकर्ताओं से बोला कि जो भी फैसला आएगा लालू को मंजूर है, मेरे बाद मेरा बेटा तेजस्वी है ना, पूरा देश, पूरी जनता देख रही है कि मुझे और मेरे परिवार को किस तरह भाजपा परेशान करने की कोशिश कर रही है। उसमें वो कामयाब नहीं होंगे। एक लालू को जेल भेजेंगे तो एक लाख लालू अब पैदा होगा, लालू ने गरीब जनता की लड़ाई लड़ी है और लड़ता रहेगा।

तीन बजे के बाद आया ये बड़ा फैसला
पहले फैसले का समय सुबह ग्यारह बजे तय था, लेकिन लालू यादव के वकील चितरंजन प्रसाद ने जानकारी दी थी कि ग्यारह बजे के बदले अब दोपहर तीन बजे तक फैसला सुनाया जाएगा। उसके बाद लगातार इंतजार जारी था और तीन बजे के बाद जज ने यह फैसला सुनाया।

जेल जाने से पहले बोले लालू-भाजपा को उखाड़ फेंकेंगे
आज सुबह साढ़े दस बजे के बाद जैसे ही लालू यादव रांची स्थित रेलवे के गेस्ट हाउस से कोर्ट के निकले, उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं ने घेर लिया। कोर्ट जाने से पहले लालू ने कहा कि फैसला जो भी आए सभी लोग संयम बरतें, मैं बिहार की जनता का आभारी हूं। उन्होंने कहा कि न्यायालय पर पूरा भरोसा है, फैसला जो भी आए हर आदमी लालू यादव बनकर बीजेपी के खिलाफ खड़ा होगा और भाजपा को जड़ से उखाड़ फेंकेगा।

लालू जी एक विचारधारा का नाम है—तेजस्वी
लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा कि मैंने बचपन से ही देखा है। लालू यादव किसी व्यक्ति का नहीं एक विचार धारा का नाम है। मेरे पिता ने गरीबों के लिए किस तरह से लड़ाई लड़ी है? हम उनके विचारों को लोगों तक पहुंचाने का काम करेंगे। मेरे पिता हमेशा ही मुसीबतों को झेलते रहे हैं, लेकिन उन्होंने कभी अपना कदम पीछे नहीं हटाया है। मैंने अपने पिता से सीखा है कि किस तरह मुसीबतों से लड़ना है। भाजपा जिस तरह से मेरे पिता और परिवार को तरह-तरह से परेशान कर रही है। उसे जनता समझ रही है।

यह है लालू की जेल यात्रा

- 15 साल से जेल के बाहर भीतर होते रहे लालू 
राजद सुप्रीमो लालू यादव पहली बार दिसंबर 2002 में गरीब रथ पर सवार होकर रांची आए थे और उस वक्त बेकन हॉस्टल लालू के लिए कैंप जेल बना था। 
- 1997 में 137 दि‍न न्याय‍िक ह‍िरासत में रहे थे लालू
लालू प्रसाद 10 मार्च 1990 को पहली बार और 1995 में दूसरी बार ब‍िहार के मुख्‍यमंत्री बने लालू यादव का नाम 1996 में मुख्‍य रूप से सामने आया। लालू यादव को साल 1997 में पहली बार न्यायिक हिरासत रखे गए और 12 दिसंबर 1997 को रिहा क‍िए गए। 
- 1998 में बेऊर जेल में रखे गए थे लालू 
इसके बाद दूसरी बार इस मामले में उन्‍हें 28 अक्टूबर 1998 को जेल यात्रा करनी पड़ी। इस दौरान राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख को बेऊर जेल में रखा गया था। हालांक‍ि इसके बाद भी उन्‍हें फ‍िर जमानत म‍िल गई। 
- 2000 में लालू ने 1 दिन ही जेल में गुजारा
लालू प्रसाद यादव को इस मामले में एक बार फ‍िर 28 नवंबर 2000 को गिरफ्तार क‍िया गया। हालांक‍ि इस बार लालू प्रसाद यादव को स‍िर्फ 1 दिन ही जेल में गुजारना पड़ा।
- 2013 में फ‍िर जेल गए थे लालू प्रसाद यादव 
इसके बाद 2013 में चारा घोटाले से ही जुड़े एक मामले में 37 करोड़ रुपये के गबन को लेकर लालू यादव दोषी पाए गए। इस दौरान उन्‍हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी।
- राजद ने प्रमुख प्रवक्ताओं को दी प्रेस से बात करने की जिम्मेवारी
रांची सीबीआई कोर्ट के फैसले के इंतज़ार में राजद के प्रवक्ता दिल्ली, पटना और रांची में मुस्तैद हैं। लालू के निर्देश पर दिल्ली स्थित राजद ऑफिस में राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा और सांसद जय प्रकाश यादव की ड्यूटी लगाई गई है। पटना ऑफिस में जगदानंद सिंह, निरंजन कुशवाहा और चितरंजन गगन मौजूद हैं।
रांची में शक्ति यादव और एज्या यादव की ड्यूटी लगाई गई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सभी प्रवक्ताओं को मीडिया के सवालों का जवाब देने की जिम्मेवारी सौपी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था झटका
झारखंड हाईकोर्ट ने नवंबर 2014 में लालू को राहत देते हुए उनपर लगे घोटाले की साजिश रचने और ठगी के आरोप हटा दिए थे। फैसले में कहा गया था कि एक ही अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दो बार सजा नहीं दी जा सकती। इस फैसले को सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए लालू पर आपराधिक केस चलाने की अनुमति दे दी थी। साथ ही नौ महीने के भीतर सुनवाई पूरी करने का आदेश भी दिया था।

इस मामले में हुआ  फैसला 
पुलिस ने 1994 में संयुक्त बिहार के देवघर, गुमला, रांची, पटना, चाईबासा और लोहरदगा समेत कई कोषागारों से फर्जी बिलों के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध निकासी के मामले दर्ज किए। धड़ाधड़ गिरफ्तारियां होने लगी तो पटना हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया और जांच का काम सीबीआइ को सौंपा। तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद भी चपेट में आ गए। देवघर कोषागार से निकासी मामले में लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र सहित 22 आरोपियों पर न्यायालय में ट्रायल चला है। कुल 34 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया गया था, जिनमें से कई का निधन हो चुका है, जबकि दो आरोपी सरकारी गवाह बन गए हैं। 

 
 

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