पुण्य के चक्कर में 70 लोगों ने गंवाई जिंदगी, अब अपने भी पहचानने से कर रहे इंकार

Edited By ,Updated: 31 May, 2016 03:22 PM

0 people lost their lives in pursuit of virtue are now also refusing to recognize

पुण्य कमाने के चक्कर में यहां आए कुछ लोगों को लाश तक की दुर्गति हो रही है। अपने...

उज्जैन (कीर्ति राजेश चौरसिया) : पुण्य कमाने के चक्कर में यहां आए कुछ लोगों को लाश तक की दुर्गति हो रही है। अपने रिश्तेदार तक लाश पहचानने से इंकार कर चुके हैं क्योंकि लाश पहचानी नहीं जा रही। यहां उज्जैन में लगे महाकुंभ मेले में अलग-अलग कारणों से करीब 70 लोगों की मौत हुई थी। इनमें से 22 साधु हैं। इनमें से कई लाशें अब भी पोस्टमार्टम रूम में पड़ी-पड़ी सड़ रही हंै। हालत ये है कि वहां खड़ा होना भी दुर्भर हो रहा है। 


 
हमारे पास 21 लाशें रखने का ही इंतजाम
सिविल सर्जन डॉ. गहरवार का कहना है कि उनके पास 21 लाशों को ही रखने का इंतजाम है। इन बदबू दे रही लाशों के मामले में अस्पताल प्रशासन और पुलिस एक-दूसरे को दोष दे रहे हैं। पोस्टमार्टम कराने आए महाकाल थाने के एसआई रंजीत सिंह बताते हैं कि शिनाख्त के लिए शवों को रखवाया जाता है। लाश को सेफ रखने के लिए फ्रीजर है। बावजूद इसके लाशों को खुले में रखा जा रहा है। गर्मी की वजह से लाशें जल्द सडऩे लगती हैं। फैमिली मेंबर भी इनकी शिनाख्त नहीं कर पाते। डॉ. गहरवार का कहना है कि हमारे पास 21 लाशें रखने के लिए 10 मॉच्र्युरी फ्रीजर हैं। एक फ्रीजर में चार लाशें रखी जा सकती हैं।


पोस्टमॉर्टम रूम में दो और बच्चा वार्ड के सामने आठ। बच्चा वार्ड के सामने वाले फ्रीजर को सिंहस्थ के लिए देवास, शाजापुर और आगर से मंगवाया गया था। इन्हें वापस भेज दिया जाएगा। लावारिस लाशों का क्रिया-कर्म करने वाली संस्था मुक्ति सेवा सदन के अध्यक्ष अनिल डागर का कहना है कि सिंहस्थ में मैंने ही 70 लाशों का अंतिम संस्कार किया है, जिसमें से 22 के करीब साधु हैं।
 

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