Edited By ,Updated: 05 Dec, 2016 02:18 PM
हमारे भारतीय जवान देश सेवा के लिए अपनी जान कुर्बान करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। शहीद जवानों को कितना भी नमन किया जाए कम है क्योंकि उनकी कुर्बानी का हम कभी कर्ज अदा नहीं कर सकते।
मुंबई: हमारे भारतीय जवान देश सेवा के लिए अपनी जान कुर्बान करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। शहीद जवानों को कितना भी नमन किया जाए कम है क्योंकि उनकी कुर्बानी का हम कभी कर्ज अदा नहीं कर सकते। 16 साल के मानव ने शहीदों के सम्मान में एक अनूठा अभियान चलाया है। मानव 6 मेंबर्स वाली सी-हॉक्स की उस टीम में शामिल है जिसका लक्ष्य मुंबई से मैंगलोर तक 1000 किमी का समुद्री सफर तय करना है। सफर सिर्फ तैरकर पूरा करना है, वो भी महज 14 दिन में। इस टीम में मानव सबसे छोटा है। वह अरब सागर में उठती लहरों से लगातार लड़ रहा है। बिना रूके वह लगातार आगे बढ़ रहा है।
मानव इतना बड़ा जोखिम खुद के लिए नहीं बल्कि मुंबई, पठानकोट और उरी आतंकी हमलों में शहीद जवानाें को श्रद्धांजलि देने के लिए उठा रहा है। मानव ने बताया कि 26/11 हमले के वक्त वह 8 साल का था और मां के साथ बैठा टीवी देख रहा था तभी हमले की खबर चलने लगी। जैसे ही जवानों के शहीद होने की खबर आई, तभी मन में ठान लिया कि शहीदों के सम्मान के लिए एक दिन जरूर कुछ करूंगा। 8 साल बाद उसे मौका मिला कि समुद्री सफर के जरिए शहीदों को सम्मान देना है, इसलिए तुरंत हां कह दी। मानव ने कहा कि जवान देश के लिए अपनी जान दे सकते हैं तो क्या मैं उनके लिए ये मामूली-सा लक्ष्य पूरा नहीं कर सकता।
तो बनेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड
इस रेस को आइडीबीई बैंक सपोर्ट कर रहा है। लक्ष्य पूरा हुआ तो वर्ल्ड रिकॉर्ड बनेगा।
टीम नौ दिन में 700 किमी दूरी तय कर चुकी है। मानव को अकेले 180 km तक का सफर तय करना है। सफर 26 नवंबर को मुंबई से शुरू हुआ था, जो मैंगलोर के तन्नीरभावी समुद्र तट पर खत्म होगा।
मानव ने बताया कि उसे 7-8 फीट बड़ी जेलीफिश का सामना करना पड़ा। एक रात में जेलीफिश के एक बड़े झुंड ने टीम पर हमला कर दिया। एक ने उसके दाहिने हाथ और बाएं पैर में काट लिया। जख्मी होने से उसके शरीर का एक अंग काफी देर तक सुन्न पड़ गया। मानव के परिवार में उसकी मां के अलावा एक छोटी बहन है। पिता का देहांत हो चुका है। मां नवी मुंबई में बुटीक चलाती हैं। जिससे पूरे परिवार का खर्च चलता है।