Edited By ,Updated: 12 Nov, 2016 08:56 PM
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां राज्य में शराबबंदी के साथ कोई समझौता नहीं करने को लेकर अडिग हैं वहीं उद्योग जगत ने उनसे (नीतीश कुमार) ...
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां राज्य में शराबबंदी के साथ कोई समझौता नहीं करने को लेकर अडिग हैं वहीं उद्योग जगत ने उनसे (नीतीश कुमार) मध्य मार्ग का अनुसरण करते हुए बिहार में शराब की पुन: बिक्री शुरू करने की अनुमति देने की मांग की है। उद्योग एवं वाणिज्य संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की बिहार इकाई के अध्यक्ष सत्यजीत कुमार ने आज यहां जारी बयान में कहा कि राज्य में शराब का विनिर्माण हो रहा है और सरकार इस पर कई प्रकार के रियायतों की घोषणा भी कर चुकी है।
ऐसे में सरकार को मध्य मार्ग का अनुसरण करते हुए राज्य में शराब की बिक्री शुरू करने की अनुमति दे देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को शराबबंदी के कड़े कानून की जगह कोई ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि राज्य के विकास से समझौता किए बिना लोगों के बीच जागरुकता अभियान चलाकर शराब के इस्तेमाल को अगले 10 वर्षों में धीरे-धीरे समाप्त किया जा सके। नीतीश कुमार ने कहा, बिहार महात्मा बुद्ध की धरती है, जिन्होंने अति के स्थान पर मध्य मार्ग अपनाने की शिक्षा दी थी।
मौजूदा आधुनिक दौर में शासन के दैवी सिद्धांत और शासक को ईश्वर का प्रतिनिधि बताने वाले सिद्धांत की कोई जगह नहीं है। ऐसे में राज्य की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाकर और समाजिक तनाव उत्पन्न कर किसी समस्या का समाधान केवल वैधानिक आधार पर नहीं किया जा सकता है। अध्यक्ष ने उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग द्वारा शराबबंदी पर लोगों से मांगे गए सुझावों का हवाला देते हुए कहा कि 11 नवंबर तक विभाग को 511 ईमेल, 20 पत्र और 542 एसएमएस के जरिए सुझाव प्राप्त हुए। इसमें से 55 प्रतिशत लोगों ने शराबबंदी का समर्थन किया जबकि शेष ने इसका विरोध किया है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जिस कानून का राज्य की करीब 50 प्रतिशत लोगों ने विरोध किया है, उस कानून को कायम रखने का क्या औचित्य है।