शराबबंदी के साथ बिहार ने एक नए युग में प्रवेश किया

Edited By ,Updated: 15 Dec, 2016 03:50 PM

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बिहार में वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पूर्ण शराबबंदी की घोषणा, इसे लागू करने के लिए कड़ा कानून बनाए जाने की खबर सुर्खियां बनी वहीं जदयू, राजद और कांग्रेस की महागठबंधन सरकार की नैया हिचकोले खाते हुए..........

पटना: बिहार में वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पूर्ण शराबबंदी की घोषणा, इसे लागू करने के लिए कड़ा कानून बनाए जाने की खबर सुर्खियां बनी वहीं जदयू, राजद और कांग्रेस की महागठबंधन सरकार की नैया हिचकोले खाते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व में पूरे हौसले के साथ आगे बढ़ती रही।  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार के प्रथम साल 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी के वादे को पूरा करने के साथ ही आम लोगों की मूलभूत समस्या पेयजल, शौचालय, सड़क और बिजली से जुडे सात निश्चय कार्यक्रम की शुरूआत की और निश्चय यात्रा पर निकले। 

विपक्ष ने जहां प्रदेश में अपराधिक घटनाआें को राजद के पिछले 15 सालों के शासनकाल की तरह ‘जंगल राज’ की वापसी बताया वहीं नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय अपराध यूरो के ताजा आंकड़े उद्धृरित कर प्रदेश में कानून व्यवस्था मुस्तैद होने का दावा किया जिनमें अपराध के मामले में बिहार का 22वां स्थान बताया गया है।   मुयमंत्री का तर्क है कि पहले शराब पर सलाना दस हजार करोड़ रूपये बर्बाद होते थे लेकिन अब लोग अब अपना पैसा स्वास्थ्यवद्र्धक भोजन, मूलभूत आवश्यकताओं और अन्य जरूरतों पर लगा रहे हैं।  शराबबंदी के कारण सरकारी राजस्व में करीब 5000 करोड़ रुपए के नुकसान को लेकर हो रही आलोचना पर नीतीश का कहना है कि वह उसे नुकसान नहीं मानते क्योंकि सरकार के खजाने में पांच हजार करोड़ रूपये नहीं आते। लेकिन लोगों का दस हजार करोड़ रूपया शराबबंदी के कारण बच गया।

 इससे व्यापार, रोजगार के साथ सरकार की भी आमदनी बढेगी।  ब्रिटिश काल के उत्पाद अधिनियम 1915 के स्थान पर गत एक अप्रैल से लागू शराबबंदी के कडे कानून को बिहार विधानमंडल की मंजूरी के बाद नीतीश ने गत पांच अप्रैल से प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा कर दी।  गत एक अप्रैल को लागू शराबबंदी के कानून को पटना उच्च न्यायालय ने गत 30 सितबंर को खारिज कर दिया। राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की और दो अक्तूबर को गांधी जयंती के अवसर पर नये मद्य निषेध कानून 2016 को लागू कर दिया। 

विपक्ष ने नए और कडे शराबबंदी कानून के कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए उन्हें ‘तालिबानी’ बताया तो नीतीश ने इसे और बेहतर बनाने के उद्देश्य से लोकसंवाद के साथ सर्वदलीय राय भी ली। बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में नए शराबबंदी कानून में कुछ संशोधन की संभावना थी पर यह नहीं हो पाया क्योंकि राज्य सरकार ने कहा कि इस पर अभी कानूनी राय ली जा रही है।  
 

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