Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Aug, 2017 05:49 PM
भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने देश की महानगरी और आर्थिक राजधानी मुबंई की सुरक्षा पर प्रश्न उठाते हुए खुलासा किया है कि देश के बड़े मेट्रो शहर की सुरक्षा भगवान के भरोसे है।
नई दिल्ली: भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने देश की महानगरी और आर्थिक राजधानी मुबंई की सुरक्षा पर प्रश्न उठाते हुए खुलासा किया है कि देश के बड़े मेट्रो शहर की सुरक्षा भगवान के भरोसे है।
आतंकी हमले के बाद भी पुलिस ने नहीं लिया कोई सबक
कैग की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने पुलिस आधुनिकीकरण के लिए करोड़ों रुपए दिए लेकिन, रकम खर्च नहीं किया गया। इससे केंद्र सरकार ने 265 करोड़ रुपए की निधि रोक दी। मुंबई पर हुए 26/11 के आतंकी हमले के बाद मुबंई और महाराष्ट्र पुलिस ने कोई सबक नहीं लिया। रिपोर्ट के अनुसार, हथियारों के अलावा महाराष्ट्र पुलिस तकनीकी कर्मचारियों की कमी से भी जूझ रही है। जिसके चलते इस साल जनवरी तक 34,171 यानी लगभग 18 फीसदी नमूनों की जांच तक नहीं की जा सकी।
रिपोर्ट में हुआ खुलासा
रिपोर्ट में इस बात की खुलासा किया गया कि बीते 5 साल में केंद्र सरकार ने अत्याधुनिक हथियार व उपकरण खरीदी के लिए 491. 96 रुपए दिए जिसमें से 289.46 करोड़ रुपए पुलिसकर्मियों को घर मुहैया कराने पर खर्च करना था। लेकिन राज्ट सरकार ने सिर्फ 83.70 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाया।
रिपोर्ट के अनुसार, आतंकी हमलों, नक्सली हमलों, दंगे और आंदोलनों के चलते पैदा होने वाली परिस्थितियों से निपटने से जुड़े साजों सामान खरीदने के लिए केंद्र सरकार ने 42.91 करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन उस रकम में से राज्य सरकार 4.96 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाया।
सितंबर 2016 से पहले पुलिस को बुलेटप्रूफ जैकेट, नाइट विजन दूरबीन, बांब डिस्पोजेबल सूट, पोर्टेबल एक्सरे यंत्र जैसे अन्य उपकरण खरीदने थे, लेकिन पुलिस ने नहीं खरीदा। केंद्र की पुलिस आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत साल 2011 से 2016 के बीच महज 38 फीसदी ही रकम खर्च किया जा सका।
कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि आधुनिक साजोसामान नहीं होने के कारण अपराध में भी बढ़ोतरी हुई है। राज्य सीआईडी की रिपोर्ट के मुताबिक बलात्कार, बच्चों के अपहरण, डकैती, महिलाओं पर अत्याचार जैसे मामले बढ़े हैं। अगर निधि का सही इस्तेमाल किया गया होता तो अपराध पर रोक लगाई जा सकती थी।