Edited By ,Updated: 14 Nov, 2016 01:12 PM
भागदौड़ की इस जिंदगी में कपल के बीच अब पेशेंस नहीं रहा है जिसके चलते तलाक के मामले पहले से ज्यादा बढ़ गए हैं।
नई दिल्ली: भागदौड़ की इस जिंदगी में कपल के बीच अब पेशेंस नहीं रहा है जिसके चलते तलाक के मामले पहले से ज्यादा बढ़ गए हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक कपल की आठ साल पुरानी शादी को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि भागदौड़ भरी जिंदगी, जीवन की कठिनाइयों और आर्थिक स्थिरता ने उनके जीवन को प्रभावित किया और वे बमुश्किल पति-पत्नी की तरह रहे हैं। जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और प्रतिभा रानी की बेंच ने कहा कि एमबीएस ग्रैजुएट इस कपल का व्यवहार एक तनाव संबंधी विकार का परिणाम था। यह विकार आजकल आम है। साथ ही एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के कारण उन्होंने अपने शादीशुदा जिंदगी में समस्याएं पैदा कर ली हैं।
कोर्ट ने कहा कि दोनों समझदार हैं और उनके पास अच्छी-खासी नौकरी है लेकिन शायद शादी के मामलों में समझदारी की कोई तारीफ नहीं करता, जिसमें पति-पत्नी एक दूसरे का अपने हिसाब से मूल्यांकन करते हैं। इसमें समझदारी का कोई मूल्य नहीं रहता। 2014 में निचली अदालत ने दंपती को तलाक देने से मना कर दिया था जिसके खिलाफ पति ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
याचिका स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि साथ रहते हुए दोनों मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस कर रहे थे। इस रिश्ते में एक दूसरे के प्रति सम्मान था ही नहीं। हाई कोर्ट ने कहा कि शादी दिसंबर 2008 में हुई थी और कपल मई 2009 में अलग रहने लगा था। बेंच ने कहा कि दोनों केवल पांच माह 21 दिनों के लिए साथ रहे। इस दौरान दोनों को केवल 60 दिनों तक एक दूसरे का साथ अच्छा लगा। हालांकि ये दिन भी अशांति में बीते। ऐसे में अगर ये दोनों अलग होना चाहते हैं तो वे ऐसा कर सकते हैं।