डोकलाम संकट हल के लिए चीन के ये 2 शब्द ही काफी लेकिन...

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Aug, 2017 03:37 PM

dolam crisis handle it using the trusted wei chi response

डोकलाम को लेकर भारत और चीन एेसे उलझे हैं कि दोनों ही देश इस मामले में अपने कदम पीछे खींचने को राजी नहीं हैं...

बीजिंगः डोकलाम को लेकर भारत और चीन एेसे उलझे हैं कि दोनों ही देश इस मामले में अपने कदम पीछे खींचने को राजी नहीं हैं। पिछले दिनों इसी मुद्दे पर भारत और चीन  के NSA ने बैठक की थी। इसके बाद भी फिलहाल इसका कोई हल नहीं निकला है। दोनों ही तरफ से सीमा पर सेना का जमावड़ा जारी है। इस बीच चीन के राष्‍ट्रपति की तरफ से बार-बार यह बयान दिया गया है कि उनकी सेना हर तरह से तैयार है। 2 माह से जारी इस तनातनी के बीच भारत भी अपने रुख पर कायम है। लेकिन इसके साथ-साथ भारत इस मामले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने का भी प्रयास लगातार कर रहा है। 

यही वजह है कि ब्रिक्स देशों के NSAकी मीटिंग के लिए चीन गए अजीत डोभाल ने वहां राष्ट्रपति शी चिनफिंग से भी मुलाकात की थी। गौरतलब है कि चीन ने एक दिन पहले ही इस बात को माना है कि डोकलाम एक विवादत क्षेत्र है। इससे पहले वह हर बार यही कहता रहा है कि यह चीन का इलाका है और यहां पर कभी उसके चरवाहे अपनी भेड़ें चराते थे।PunjabKesariडोकलाम संकट हल के लिए चीनी शब्द, “wei-chi“ "वी-ची"  का उपयोग उपयुक्त लगता है जिसमें ये 2 शब्दों “खतरे और अवसर“ को दर्शाते हुए  2 अभिव्यक्तियों का संयोजन  है। कहने का भाव ये है कि डोकलाम संकट को हल करने के लिए एक अवसर में परिवर्तित किया जा सकता है। जरूरत बस इस मुद्दे का संतुलित तरीके से विश्लेषण करने की है क्योंकि इसमें अधूरी जानकारी की व्यापक उपलब्धता से भ्रम हो जाता है"।

हालांकि डोकलाम संकट वास्तव में गंभीर है। बार-बार युद्ध का संकेत देने वालों को लगता है कि युद्ध होगा और ये भ्रामक प्रचार ही सबसे बड़ा खतरा है। डोकलाम मामले में भारत की परिपक्व सोच व रणनीति की अमरीका ने भी सराहना की है। डोकलाम में तैनात कमांडर और सैनिक भी बधाई के पात्र हैं जो अधिकतम ऊंचाई, बीहड़ इलाके और जलवायु जैसी असंख्य चुनौतियों के बावजूद मजबूती व धैर्य से डटे हुए हैं। इसके विपरीत चीनी मीडिया मामले को भड़काने का काम कर रहा है। उम्मीद की जाती है कि भारत, चीन और भूटान इस मुद्दे का समझदारी से सौहार्दपूर्ण माहौल में हल निकालें ।
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भारत इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दो विकल्‍पों पर काम कर रहा है। इन विकल्‍पों में पहला विकल्‍प यह है कि डोकलाम और भूटान की चीन से लगती सीमा से भारतीय फौज को हटाकर वहां पर भूटान की आर्मी को तैनात किया जाए। लेकिन इससे पहले चीन को भी वहां से अपनी सेनाएं हटानी होंगी। दूसरे विकल्‍प के तौर पर इस मामले को नंवबर तक खींचा जाए और इस बीच बातचीत कर मामले का शांतिपूर्ण हल तलाशने की कोशिश की जाए। इन दो विकल्‍पों में यदि विचार किया जाए तो पहला विकल्‍प शायद चीन को रास न आए। इसकी वजह यह भी है कि चीन इस जगह से अपनी सेना को पीछे हटाने के लिए राजी नहीं है। हालांकि चीन बार-बार भूटान के इलाके में भारतीय सेना की मौजूदगी को लेकर शिकायत करता रहा है।

 

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