चारा घोटाला: लालू प्रसाद यादव दोषी करार, सातवीं बार गए जेल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Dec, 2017 07:54 PM

अरबों रुपए के बहुचर्चित चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में आज केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) की विशेष अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सहित 15 लोगों को दोषी करार दिया, जिनको तीन जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। वहीं इस मामले में सूबे के...

रांचीः अरबों रुपए के बहुचर्चित चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में आज केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) की विशेष अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सहित 16 लोगों को दोषी करार दिया, जिनको तीन जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। वहीं इस मामले में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र सहित 6 लोगों को अदालत ने निर्दोष करार देते हुए रिहा कर दिया।

इस मामले में दोषी ठहराए गए सभी 16 लोगों को हिरासत में लेकर बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया है। आपको बता दें कि लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले से जुड़े मामले में आज सातवीं बार जेल जाना पड़ा है। चारा घोटाले के इस मामले में कुल 22 लोगों को आरोपी बनाया गया था। अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र के अलावा बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद और पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, हार्दिक चंद्र चौधरी, सरस्वती चंद्र और साधना सिंह को दोषमुक्त करार कर दिया। 


बता दें कि चारा घोटाला मामला सरकार के खजाने से 900 करोड़ रुपए की फर्जीवाड़ा का है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों और राजनेताओं की मिलीभगत से इस घोटाले को अंजाम दिया गया था। इसमें पशुओं के लिए चारा, दवाओं आदि के लिए सरकारी खजाने से पैसा निकाला गया था। 
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चारा घोटाले में लालू सातवीं बार गए जेल, एक नजर घटनाक्रम परः
27 जनवरी 1996-
चाइबासा के तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे ने पहली बार इसका रहस्योदघाटन किया।
11 मार्च- पटना उच्च न्यायालय ने सीबीआई को चार माह के अंदर चारा घोटाले की जांच करने का निर्देश दिया।
19 मार्च- उच्चतम न्यायालय ने पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस.एन.झा और एस.जे. मुखोपाध्याय की खंडपीठ को सीबीआई जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया। सीबीआई की जांच शुरू हुई।
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06 जनवरी 1997- सीबीआई ने मुख्यमंत्री लालू प्रसाद से पहली बार साढ़े छह घंटे तक पूछताछ की।   
27 अप्रैल- सीबीआई के निदेशक जोगिंदर सिंह ने लालू प्रसाद यादव समेत 56 लोगों के खिलाफ अभियोग पत्र दाखिल करने की अनुमति दी।   
10 मई- सीबीआई ने बिहार के राज्यपाल ए.आर. किदवई से लालू यादव समेत 56 लोगों के खिलाफ अभियोग पत्र दाखिल करने की अनुमति मांगी ।   
17 जून-
राज्यपाल ए.आर. किदवई ने सीबीआई को चारा घोटाले के नियमित मामले 20 ए/ 96 में लालू यादव समेत 54 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने की अनुमति दी।
23 जून- सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव समेत 56 लोगों के खिलाफ विशेष न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। 
25 जुलाई- सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस.के. लाल ने लालू प्रसाद यादव तथा अन्य अभियुक्तों के विरूद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया। लालू यादव ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लालू यादव ने उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की। उच्चतम न्यायालय ने 29 जुलाई तक उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का अंतरिम आदेश दिया।  
29 जुलाई- उच्चतम न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।   
30 जुलाई- लालू प्रसाद यादव ने सीबीआई की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया और उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
28 अक्टूबर- सीबीआई ने 64ए 96 में राज्यपाल की अनुमति के बगैर 34 लोगों के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया।  
29 अक्टूबर- विशेष अदालत ने लालू यादव को 90 दिनों के अंदर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जाने के आधार पर 38ए 96 और 42ए 96 में जमानत दे दी।   
28 नवंबर- पटना उच्च न्यायाल ने लालू यादव को 64 ए 96 में हिरासत में रखे जाने को अवैध ठहराया।   
11 दिसंबर- चारा घोटाले के नियमित मामले 20 ए 96 में लालू यादव 134 दिनों तक जेल में रहने के बाद रिहा हुए।
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12 मई 1998- राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी ने चारा घोटाले के षड्यंत्र पक्ष से संबंधित 64 ए 96 में लालू यादव समेत 34 लोगों के विरूद्ध मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी। 
02 जुलाई- सीबीआई की विशेष अदालत ने आरसी 64ए 96 में 34 लोगों के विरूद्ध लगाए गए आरोपों पर संज्ञान लिया और लालू यादव को 27 जुलाई से पहले आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।  
24 जुलाई- पटना उच्च न्यायालय ने लालू यादव समेत अन्य अभियुक्तों के विरूद्ध सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को बहाल रखा लेकिन आत्मसमर्पण की अवधि को बढ़ाया।  
19 अगस्त- सीबीआई ने लालू यादव पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले 5 ए 98 में प्राथमिकी दर्ज कराई।  
21 अगस्त- सीबीआई ने मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास समेत उनके रिश्तेदारों के विभिन्न ठिकानों पर छापामारा। 
21 अक्टूबर-  सीबीआई ने लालू यादव से अपने कार्यालय में 5 ए 98 के सिलसिले में पूछताछ की।
28 अक्टूबर- लालू प्रसाद यादव और डा.जगन्नाथ मिश्र समेत छह अभियुक्तों ने 64 ए 96 में विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया और अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।   
10 नवंबर- पटना उच्च न्यायालय ने 64ए 96 में लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका खारिज की। 
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08 जनवरी 1999- लालू प्रसाद यादव 73 दिनों के बाद जेल से रिहा हुए।  
20 और 27 मई- बिहार की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से उनके पति और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के खिलाफ दायर आय से अधिक संपत्ति रखने के नियमित मामले 5ए 98 में सीबीआई ने उनके सरकारी आवास में पूछताछ की।  
08 अक्टूबर- सीबीआई ने चारा घोटाले के नियमित मामले 38 ए 96 में राज्यपाल सूरज भान से अनुमति मांगी।  
03 नवंबर- यादव और डा.जगन्नाथ मिश्र तथा राज्य के तीन पूर्व मंत्रियों समेत अन्य लोगों के खिलाफ 38ए 96 में राज्यपाल सूरज भान ने सीबीआई को मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी।
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08 मार्च 2000- सीबीआई ने राज्यपाल विनोद चंद्र पांडेय से 5 ए 98 में लालू यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी। 
11 मार्च- राज्यपाल ने सीबीआई को लालू यादव के विरूद्ध मुकदमा चलाने की अनुमति दी।  
04 अप्रैल-सीबीआई ने 5ए 98 में लालू यादव और मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। विशेष अदालत ने आरोपों पर संज्ञान लेते हुए दोनों के खिलाफ गिरफ्तारीी वारंट जारी करने का आदेश दिया।   
05 अप्रैल- लालू यादव और राबड़ी देवी ने 5ए 98 में सीबीआई की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया। न्यायाधीश ने लालू को जेल भेजा और राबड़ी देवी को जमानत पर रिहा किया।   
11 मई-लालू को तीन माह के औपबंधिक जमानत पर केंद्रीय आदर्श कारा बेऊर से रिहा किया गया।   
28 नवंबर- आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के नियमित मामले 5ए 98 में जमानत की अवधि समाप्त होने के बाद ब्यूरो की विशेष अदालत ने न्यायिक हिरासत में केंद्रीय आदर्श कारा बेऊर भेज दिया।  
29 नवंबर- लालू एक दिन जेल में रहने के बाद जमानत पर रिहा हुए। 
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28 मार्च 2001- पूर्व मुख्यमंत्री लालू और डा.जगन्नाथ मिश्र समेत 179 लोगों के खिलाफ चारा घोटाले के  नियमित मामले 47 ए 96 में मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को अनुमति दी।   
08 मई- केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 47ए96 में ब्यूरो की विशेष अदालत में लालू समेत 110 अभियुक्तों के विरूद्ध आरोप पत्र दायर कर दिया। इसी दिन न्यायाधीश ने इस आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए अभियुक्तों के विरूद्ध वारंट जारी कर दिया।  
12 मई- उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में लालू और डा.मिश्र समेत 70 अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए रांची की विशेष अदालत द्वारा जारी वारंट पर रोक लगाई।  
05 नवंबर- उच्चतम न्यायालय ने श्री यादव को रांची की विशेष अदालत में 26 नवंबर तक आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।   
26 नवंबर- लालू ने चारा घोटाले के नियमित मामले 47 ए 96 में रांची की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया। न्यायिक हिरासत में जेल भेजे गए।

24 जनवरी 2002- लालू यादव 59 दिनों तक जेल में रहने के बाद जेल से रिहा हो गए।

18 दिसंबर 2006- आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले 5 ए 98 में लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी को सीबीआई की विशेष अदालत ने बरी किया। 

20 सितंबर 2013- रांची में सीबीआई की विशेष अदालत ने अरबों रुपये के चारा घोटाले के षडयंत्र पक्ष से जुड़े नियमित मामले 20 ए 96 में लालू और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. मिश्रा समेत 45 आरोपियों को दोषी करार दिया। इसके बाद लालू को छठी बार जेल जाना पड़ा।  
03 अक्टूबर- सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू यादव को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई और 25 लाख रूपये का जुर्माना भी किया।  
16 दिसंबर- सर्वोच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद लालू रांची की बिरसा मुंडा जेल से बाहर आए।

08 मई 2017- सर्वोच्च न्यायालय ने चारा घोटाले के हर केस को अलग अलग चलाने की सीबीआई की दलील मान ली। अदालत ने नौ महीने के भीतर लालू के खिलाफ मुकदमों को ट्रायल पूरा करने का भी आदेश दिया। 

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